खरीफ की कटाई के बाद पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं फिर से बढ़ रही हैं। NASA के सैटेलाइट डेटा के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में लुधियाना, संगरूर और फतेहगढ़ साहिब जिलों में 3,500 से अधिक फायर पॉइंट दर्ज किए गए। इससे दिल्ली-एनसीआर की हवा पर फिर खतरा मंडरा रहा है।
केंद्र और राज्य सरकार ने किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनें वितरित की थीं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उनका उपयोग बेहद कम है। कई किसान मानते हैं कि मशीनों के रखरखाव की लागत ज़्यादा है और पराली जलाना अब भी सबसे आसान तरीका है।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक किसानों को वैकल्पिक आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा, समस्या बनी रहेगी। कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं पराली से बायो-कोयला और जैव उर्वरक बनाने के प्रोजेक्ट चला रही हैं, लेकिन उन्हें भी बड़े पैमाने पर सरकारी सहयोग की दरकार है।