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वक्फ एक्ट के नियम अधिसूचित: डिजिटल पारदर्शिता, जवाबदेही और सामाजिक कल्याण की दिशा में बड़ा कदम

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नई दिल्ली, 5 जुलाई 2025 

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को ज़मीन पर लागू करने के लिए एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इसके तहत आवश्यक नियमों की अधिसूचना जारी कर दी है। इन नियमों को “Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development (UMEED) Rules, 2025” नाम दिया गया है, जो न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को तकनीकी रूप से सशक्त बनाएंगे, बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को भी वक्फ व्यवस्था में मजबूती से स्थापित करेंगे। यह अधिसूचना ऐसे समय में आई है जब देशभर में वक्फ संपत्तियों को लेकर जागरूकता बढ़ी है और वर्षों से चली आ रही शिकायतों—भ्रष्टाचार, अतिक्रमण, गुप्त सौदेबाज़ी—को दूर करने के लिए ठोस व्यवस्था की मांग की जा रही थी।

नए नियमों के तहत अब प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को अपनी वक्फ संपत्तियों का पूरा ब्योरा एक केंद्रीय डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। प्रत्येक संपत्ति की एक विशिष्ट पहचान संख्या (Unique ID) होगी, जिसमें उसकी लोकेशन, रकबा, उपयोग, डीड्स, आय, और अन्य कानूनी विवरण स्पष्ट रूप से दर्ज होंगे। इन संपत्तियों को डिजिटाइज करने और पोर्टल पर प्रदर्शित करने के लिए छह महीने का समय निर्धारित किया गया है, जबकि राज्य वक्फ बोर्डों को 90 दिनों के भीतर अपनी संपत्तियों की सूची प्रकाशित करनी होगी। यह पहली बार होगा जब देश की लाखों वक्फ संपत्तियों का एक पारदर्शी और अद्यतन डेटाबेस जनता के लिए सुलभ होगा।

UMEED Rules के अंतर्गत हर वक्फ संपत्ति के प्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति—मुतवल्ली—को अब अपने मोबाइल नंबर और ईमेल के ज़रिए पोर्टल पर लॉगिन करना होगा और सालाना ऑडिट रिपोर्ट, आय-व्यय विवरण, और संपत्ति की अद्यतन स्थिति समय-समय पर अपलोड करनी होगी। साथ ही, वक्फ बोर्डों की सभी बैठकों, निर्णयों और योजनाओं की सूचना भी पोर्टल पर अनिवार्य रूप से सार्वजनिक करनी होगी। इसका सीधा उद्देश्य यह है कि अब वक्फ संपत्तियों का उपयोग एक गुप्त संस्थागत तंत्र के बजाय सामाजिक विकास और पारदर्शी प्रशासन की कसौटी पर हो।

नए नियमों में वक्फ संपत्तियों से होने वाली आय को अनाथों, विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं, गरीब छात्रों और असहाय मुसलमानों के कल्याण में लगाए जाने का स्पष्ट प्रावधान है। इस राशि को लाभार्थियों तक डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से पहुँचाया जाएगा। इसके लिए एक अलग वक्फ लाभार्थी डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जिसमें पात्र व्यक्तियों को दस्तावेज़ों सहित आवेदन करना होगा और पारदर्शी प्रक्रिया से लाभ दिया जाएगा। यह व्यवस्था वक्फ की मूल भावना—समाज के कमजोर वर्गों की मदद—को सशक्त करने की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव है।

अधिसूचित नियमों में एक और अहम प्रावधान किया गया है—‘वक्फ-बाय-यूज़र’ सिद्धांत को समाप्त कर दिया गया है। अब कोई भी संपत्ति सिर्फ इस आधार पर वक्फ घोषित नहीं की जा सकती कि वह लंबे समय से धार्मिक प्रयोजन में उपयोग हो रही है। इसके लिए वाजिब दस्तावेज़, भूमि अभिलेख और आधिकारिक स्वीकृति आवश्यक होगी। इस प्रावधान का उद्देश्य है कि वक्फ की आड़ में किसी तीसरे पक्ष की संपत्ति पर अनुचित दावा न हो सके। विवाद की स्थिति में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को एक साल के भीतर जांच और निर्णय देना होगा, और अपील की व्यवस्था ट्रिब्यूनल से लेकर उच्च न्यायालय तक सुनिश्चित की गई है।

इन नियमों को जल्द ही संसद के मानसून सत्र में रखा जाएगा, ताकि विधायी प्रक्रिया का औपचारिक अनुमोदन प्राप्त किया जा सके। साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों से आग्रह किया है कि वे इस नियमावली के अनुरूप अपने स्थानीय वक्फ प्रबंधन नियम तैयार करें और डिजिटल समावेशन, लोक कल्याण, और धार्मिक स्वतंत्रता के संतुलन को सुनिश्चित करें। केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा है कि यह नियमावली इतिहास में पहली बार इतने विस्तृत और तकनीकी दृष्टि से सक्षम प्रारूप में सामने आई है, जिसे मात्र तीन महीनों के भीतर तैयार कर लागू किया गया है।

राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियमावली भारत में वक्फ प्रबंधन की दिशा और दशा को पूरी तरह से बदल देगी। जहां एक ओर इससे धर्म के नाम पर हो रहे संस्थागत दुरुपयोग पर रोक लगेगी, वहीं दूसरी ओर यह मुसलमानों के भीतर विश्वास पैदा करेगा कि वक्फ अब उनके कल्याण का वास्तविक माध्यम बनेगा। RSS के सहयोगी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने इन नियमों का स्वागत करते हुए कहा है कि यह ‘इंसाफ, इमान और इनायत’ की दिशा में उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है, जो मुसलमानों को भी सशक्त भारत निर्माण में भागीदार बनाएगा।

अधिसूचित UMEED नियमावली एक नीतिगत क्रांति है, जो वक्फ की अवधारणा को आधुनिक, पारदर्शी और उत्तरदायी स्वरूप में ढालने का प्रयास है। इन नियमों के क्रियान्वयन के बाद न केवल वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि उसका लाभ भी सही मायनों में उन तक पहुंचेगा, जिनके लिए वक्फ अस्तित्व में आया था—ग़रीब, बेसहारा, असहाय और समाज के सबसे निचले तबके के मुसलमान। यह कदम भारतीय लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की पुनर्व्याख्या करता है—और उन्हें ‘सहायता नहीं, हिस्सेदारी’ का वास्तविक अनुभव कराता है।

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