अमेरिका का टैरिफ तूफान: ट्रंप ने 40% तक लगाया आयात शुल्क
वॉशिंगटन, 8 जुलाई 2025
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर एक बार फिर आक्रामक रुख अपनाते हुए नया आर्थिक भूचाल खड़ा कर दिया है। ट्रंप प्रशासन ने जापान, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, मलेशिया, लाओस, कज़ाखस्तान और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से आने वाले उत्पादों पर 20% से 40% तक का भारी आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह टैरिफ 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने इन टैरिफ लेटर्स को अपनी “फेयर एंड रिकिप्रोकल ट्रेड” रणनीति का हिस्सा बताया है, जो घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और अमेरिकी बाज़ार में “न्यायसंगत हिस्सेदारी” सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू की गई है।
इन टैरिफ लेटर्स के मुताबिक, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और कज़ाखस्तान से आने वाले उत्पादों पर 25% शुल्क लगाया जाएगा, जबकि दक्षिण अफ्रीका को 30% और म्यांमार व लाओस जैसे देशों को सबसे ऊंची श्रेणी में रखते हुए 40% तक का शुल्क देना होगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि कोई देश इन टैरिफ का विरोध करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाएगा, तो अमेरिका बदले में उनके ऊपर और अधिक शुल्क लगा सकता है। ट्रंप ने इसे अमेरिका के आत्मसम्मान और आर्थिक प्रभुत्व का सवाल बताया और कहा कि अब दुनिया को समझना होगा कि अमेरिका को ‘फ्री राइड’ नहीं दिया जा सकता।
यह फैसला उस समय आया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था पहले ही अस्थिरता, मुद्रास्फीति और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव से जूझ रही है। ट्रंप प्रशासन के इस ऐलान ने व्यापारिक हलकों में चिंता बढ़ा दी है। अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स में गिरावट देखी गई — Dow Jones और S&P 500 में हल्की गिरावट आई, और Treasury yields में उछाल देखा गया। उधर जापान, दक्षिण कोरिया और ASEAN देशों में हलचल मच गई है। इन देशों के उद्योगपतियों और नीति निर्माताओं ने अमेरिका से तत्काल संवाद की मांग की है और WTO में शिकायत दर्ज कराने के संकेत दिए हैं। कई विश्लेषकों का मानना है कि इससे एक नया “ट्रेड वॉर 2.0” शुरू हो सकता है जो वैश्विक व्यापार तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करेगा।
ट्रंप की इस नीति के पीछे स्पष्ट राजनीतिक रणनीति भी देखी जा रही है। 2024 के चुनाव में भारी जनसमर्थन के साथ वापसी करने वाले ट्रंप का फोकस अब उन राज्यों पर है, जहां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की नौकरियां लंबे समय से घट रही थीं। यह टैरिफ नीति उसी जनाधार को संतुष्ट करने का एक सशक्त प्रयास है। ट्रंप ने अपने भाषण में कहा कि पिछली सरकारों ने व्यापार घाटे को सामान्य समझ लिया था, लेकिन उनके कार्यकाल में हर डॉलर का हिसाब लिया जाएगा। “हमारे मज़दूरों के साथ न्याय होना चाहिए, ना कि विदेशी मुनाफाखोरों के साथ।” — यह उनकी बात थी जिसने उनके समर्थकों के बीच जबरदस्त तालियां बटोरीं।
इस फैसले के वैश्विक राजनीतिक असर भी होंगे। जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अमेरिका के पुराने रणनीतिक साझेदार हैं। लेकिन अब उनके आर्थिक हितों को चोट पहुंचने के कारण यह साझेदारी आर्थिक स्तर पर दरार में बदल सकती है। ASEAN और अफ्रीकी देशों के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में पहले से ही अनिश्चितता बनी हुई है, और यह टैरिफ फैसला उस दरार को और गहरा कर सकता है। ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि “अब दुनिया को अमेरिका को हल्के में लेना बंद करना होगा।”
आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि WTO और G20 जैसे मंचों पर यह मुद्दा किस तरह उठता है। क्या दुनिया इस एकतरफा नीति को स्वीकार करेगी या कोई संयुक्त मोर्चा बनाकर अमेरिका को चुनौती देगा — यह आने वाला समय बताएगा। फिलहाल, राष्ट्रपति ट्रंप ने यह जता दिया है कि अमेरिका अब “नेगोशिएशन की नहीं, निर्णय की मुद्रा” में है।