इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब इजरायल ने ईरान के नज़दीकी सहयोगी देश यमन में सक्रिय हूती विद्रोहियों पर मिसाइलों की बौछार कर दी है। यह हमला सिर्फ सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि बंदरगाहों, पावर प्लांट्स और तेल भंडारण केंद्रों तक भीषण तबाही मचाई गई है। इस कार्रवाई से एक ओर जहां पश्चिम एशिया में युद्ध का दायरा और गहराता नजर आ रहा है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और समुद्री व्यापार भी संकट में फंसते दिख रहे हैं।
इजरायल ने यह कार्रवाई रेड सी (लाल सागर) क्षेत्र में हूती विद्रोहियों की ओर से हो रहे ड्रोन और मिसाइल हमलों की प्रतिक्रिया में की है। हूती समूह, जिसे ईरान का रणनीतिक सहयोग प्राप्त है, बीते महीनों से इजरायली हितों को निशाना बना रहा था—चाहे वह व्यापारी जहाज हों या तेल टैंकर। अब इजरायल ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह केवल बचाव की मुद्रा में नहीं, बल्कि अपने दुश्मनों के गढ़ में जाकर वार कर सकता है।
इस हमले में हुदैदा बंदरगाह, सना के निकट हथियार भंडार, और मराब में स्थित एक प्रमुख विद्युत उत्पादन केंद्र को भारी नुकसान पहुंचा है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, कई हूती ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए गए, जिससे उग्रवादियों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में अफरा-तफरी मच गई है। हालांकि, हूती संगठन ने इस हमले को “युद्ध की नई आक्रामकता” करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हमला इजरायल की रणनीति में बड़ा मोड़ है, क्योंकि अब वह उन प्रॉक्सी समूहों को निशाना बना रहा है जो ईरान के इशारे पर क्षेत्रीय अस्थिरता फैला रहे हैं। यह संकेत भी साफ है कि अगर ईरान की ओर से तनाव को बढ़ावा दिया गया, तो इजरायल पीछे हटने वाला नहीं।
इस घटनाक्रम के बाद पश्चिमी एशिया में युद्ध का परिदृश्य और भी जटिल हो गया है। अमेरिका और उसके सहयोगी जहां एक ओर संघर्ष को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने की अपील कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इजरायल और हूती दोनों ही एक-दूसरे पर बड़ा हमला करने की तैयारी में दिख रहे हैं।
अगर यह संघर्ष और फैला, तो इसका असर तेल की कीमतों, वैश्विक व्यापार, और समुद्री सुरक्षा पर भी पड़ सकता है। रेड सी मार्ग पहले ही असुरक्षित माना जा रहा है, और अब इस हमले से स्थिति और बिगड़ गई है। आने वाले दिन पश्चिम एशिया के लिए अत्यंत संवेदनशील और निर्णायक हो सकते हैं।