इंदौर स्थित राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (RRCAT) में लेज़र परीक्षण और एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ा एक अत्यंत महत्वपूर्ण राष्ट्रीय तकनीकी सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें भारत की प्रमुख परमाणु, रक्षा और वैज्ञानिक संस्थाओं ने भाग लिया। इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य परमाणु संयंत्रों में लेज़र तकनीक के प्रयोग, उनकी सुरक्षा और परिचालन दक्षता में नवाचार पर केंद्रित था।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हैदराबाद स्थित न्यूक्लियर फ्यूल कॉम्प्लेक्स (NFC) के सीईओ ने बताया कि कैसे लेज़र आधारित निरीक्षण प्रणाली परमाणु संयंत्रों की विश्वसनीयता और जीवनकाल को बढ़ा सकती है। उन्होंने कहा, “आज जब हम देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का लक्ष्य बना रहे हैं, तब लेज़र तकनीक जैसी उन्नत प्रणाली, संयंत्रों की दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।”
लेज़र इनोवेशन से परमाणु सुरक्षा तक: केस स्टडी और भविष्य की रूपरेखा
इस कार्यक्रम में NPCIL, DRDO, BARC, RRCAT और IITs जैसे संस्थानों के वैज्ञानिकों ने परमाणु संयंत्रों की मरम्मत, निगरानी और एडवांस मैटेरियल वेल्डिंग में लेज़र तकनीक की भूमिका पर विस्तृत केस स्टडी प्रस्तुत कीं। उन्होंने बताया कि कैसे गैर-विनाशकारी परीक्षण (Non-destructive testing), परमाणु संयंत्रों के संवेदनशील हिस्सों की समय रहते पहचान और सुधार में मददगार साबित हो रही हैं।
एक प्रमुख प्रस्तुति में यह दिखाया गया कि कैसे लेज़र-सक्षम रोबोटिक्स को रिएक्टर के सक्रिय क्षेत्र में भेजकर मानव जोखिम कम किया जा सकता है और रिएक्टर डाउनटाइम को न्यूनतम रखा जा सकता है। इससे ना केवल लागत कम होगी बल्कि संयंत्र की उत्पादकता में भी बढ़ोतरी होगी।
कार्यक्रम में एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (3D प्रिंटिंग) को भी परमाणु संयंत्रों के लिए स्पेयर पार्ट्स के त्वरित निर्माण में उपयोगी बताया गया, जिससे आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया संभव होगी।
भारतीय वैज्ञानिक समाज के लिए दिशा-निर्देशक सम्मेलन
यह सम्मेलन न केवल एक तकनीकी संवाद का मंच बना, बल्कि उच्च तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रगति का प्रमाण भी प्रस्तुत किया। वैज्ञानिकों ने इस बात पर बल दिया कि लेज़र टेक्नोलॉजी को अब केवल एक औद्योगिक उपकरण की तरह नहीं, बल्कि रणनीतिक राष्ट्रीय क्षमता के रूप में देखा जाना चाहिए।
RRCAT निदेशक डॉ. टी. गुप्ता ने समापन भाषण में कहा, “हमारा उद्देश्य केवल अनुसंधान तक सीमित नहीं है, बल्कि ऐसी प्रौद्योगिकियाँ विकसित करना है जो सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा, ऊर्जा और औद्योगिक विकास से जुड़ती हों। यह सम्मेलन उसी दिशा में एक निर्णायक कदम है।”
सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों के तहत, इस तरह की तकनीक अब स्वदेशी विकास, स्किल डेवेलपमेंट और एक्सपोर्ट पोटेंशियल में भी निर्णायक योगदान कर सकती है।
इंदौर का यह सम्मेलन एक संकेत है कि भारत अब केवल विज्ञान का अनुसरण करने वाला नहीं, बल्कि विज्ञान को दिशा देने वाला राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है—जहाँ लेज़र किरणें केवल प्रकाश नहीं, बल्कि भविष्य का रास्ता दिखा रही हैं।