2021 में कोविड महामारी की दूसरी लहर के मानसिक और सामाजिक प्रभाव बेहद गहरे रहे। बेरोजगारी, आर्थिक संकट, अपनों की मौत और सामाजिक अलगाव ने आत्महत्याओं में वृद्धि की। NCRB के अनुसार, छात्र, गृहणियाँ और छोटे व्यापारियों में मानसिक तनाव बढ़ा। हेल्पलाइन सेवाओं और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मांग दोगुनी हो गई। WHO और भारत सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए कार्यक्रम शुरू किए। फिर भी ग्रामीण भारत में इससे जुड़ी जागरूकता और पहुंच बहुत कम रही। यह वर्ष मानसिक स्वास्थ्य को सार्वजनिक नीति में स्थान दिलाने का turning point बना।
