Home » National » सेना के जवानों की बीमारी को सेवा का हिस्सा माना जाए: दिल्ली हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सेना के जवानों की बीमारी को सेवा का हिस्सा माना जाए: दिल्ली हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

Facebook
WhatsApp
X
Telegram

3 जुलाई 2025

 दिल्ली हाईकोर्ट ने सशस्त्र बलों के जवानों के अधिकारों की रक्षा करते हुए एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि यदि कोई बीमारी सेना की सेवा के दौरान उत्पन्न होती है, तो उसे सेवा से असंबंधित बताकर डिसएबिलिटी पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने कहा कि ऐसी पेंशन कोई ‘दयादृष्टि’ नहीं, बल्कि सैनिकों की सेवा और बलिदान का कानूनी अधिकार है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि शांति वाले पोस्टिंग (पीस स्टेशन) में तैनाती को बीमारी के कारण से अलग करने का आधार नहीं माना जा सकता जब तक कि मेडिकल बोर्ड उसके पीछे ठोस और वैज्ञानिक वजह न बताए।

 कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय द्वारा की गई लगभग 300 अपीलों को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की कि ‘लाइफस्टाइल डिसऑर्डर’ कहकर जवानों की बीमारियों को खारिज करना अस्वीकार्य है, क्योंकि सेना की सेवा में तनाव, कठोर अनुशासन, विषम मौसम और पारिवारिक दूरी जैसी स्थितियाँ सामान्य जीवन से बिल्कुल अलग हैं। यह फैसला सिर्फ कानून की व्याख्या नहीं बल्कि जवानों के आत्मसम्मान, बलिदान और गरिमा के प्रति न्यायिक प्रणाली की गूंजती हुई आवाज है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *