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जो अंग्रेज़ों के डर से ‘वंदेमातरम्’ नहीं बोल सके, आज वही दे रहे हैं राष्ट्रभक्ति के पाठ — कांग्रेस

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वंदेमातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर जहाँ पूरा देश मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और गर्व से झूम रहा है, वहीं कांग्रेस ने आरएसएस और भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए कहा है कि “जो अंग्रेज़ों के दौर में ‘वंदेमातरम्’ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा सके, वे आज राष्ट्रभक्ति के ठेकेदार बन बैठे हैं।”

कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि आरएसएस और भाजपा वंदेमातरम् के नाम पर झूठी भावनाएँ भड़का रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि संघ का वंदेमातरम् से कोई ऐतिहासिक या वैचारिक संबंध ही नहीं रहा।  कांग्रेस ने संघ को चेतावनी दी — “इतिहास की किताबें आपके झूठ से नहीं बदलेंगी। जो अंग्रेजों के आगे झुके, वे आज भी सत्ता के आगे झुकते हैं। ‘वंदेमातरम्’ सिर्फ गीत नहीं, भारत की आत्मा है — और उस आत्मा का मालिक कोई नहीं हो सकता।”

कांग्रेस ने कहा कि “1925 में जब संघ की स्थापना हुई थी, तब भी उसने वंदेमातरम् को अपनी प्रार्थना नहीं बनाया। अगर आरएसएस को वास्तव में वंदेमातरम् से प्रेम होता तो वह इसे अपने संगठन का मूल गीत बनाता। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, बल्कि अपनी सुविधा के लिए नया गीत गढ़ा — ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे।’ यह गीत दिखने में देशभक्ति जैसा है, मगर असल में यह वंदेमातरम् से डर की उपज है। कांग्रेस ने कहा — ‘संघ ने वही किया जो हमेशा करता आया है — संघर्ष से दूरी और सत्ता से नज़दीकी।’

कांग्रेस ने आगे कहा कि “संघ का वंदेमातरम् से डर अंग्रेज़ों की लाठियों से पैदा हुआ था।” वंदेमातरम् वह पुकार थी जिसे बोलने पर आज़ादी के सेनानियों को जेलों में डाला जाता था, उन पर कोड़े बरसाए जाते थे। कांग्रेस के कार्यकर्ता ‘वंदेमातरम्’ कहते हुए फाँसी के तख्ते पर चढ़ गए, लेकिन संघ के स्वयंसेवक अंग्रेज़ों की छाया से भी दूर रहते थे। कांग्रेस ने कहा — “वह संघ, जिसने ब्रिटिश राज के दौरान कभी स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया, आज उसी वंदेमातरम् की आड़ में अपने पुराने पापों को ढकने की कोशिश कर रहा है।”

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि संघ ने अपने cowardice को छिपाने के लिए “नमस्ते सदा वत्सले” जैसा वैकल्पिक गीत बनाया, ताकि अंग्रेजों की नाराज़गी से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि अब वही संगठन, जो कभी वंदेमातरम् की आवाज़ से भी काँप जाता था, आज पंडित नेहरू पर झूठे आरोप लगाकर इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है।

कांग्रेस ने आरएसएस के इस दावे को सिरे से खारिज किया कि “नेहरू ने वंदेमातरम् के कुछ पैराग्राफ काट दिए।”

कांग्रेस ने कहा — “यह आरोप झूठ है, कपट है और ऐतिहासिक अज्ञानता की पराकाष्ठा है।” राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का आकार हमेशा सीमित रखा जाता है ताकि उसे औपचारिक कार्यक्रमों में सम्मानपूर्वक गाया जा सके।

‘जन गण मन’ के पाँच पद हैं, लेकिन राष्ट्रगान में केवल पहला पद अपनाया गया है; उसी तरह ‘वंदेमातरम्’ के केवल पहले अंश को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया।

कांग्रेस ने कहा कि यह परंपरा भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के राष्ट्रगानों में देखी जाती है — राष्ट्रगान कोई लोरी या कव्वाली नहीं होता जो घंटों चले, वह राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक होता है।

कांग्रेस ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए याद दिलाया कि जब पंडित नेहरू ने “जन गण मन” को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया, तो उन्होंने सुभाष चंद्र बोस का सम्मान करते हुए यह निर्णय लिया। नेहरू ने कहा था — “वंदेमातरम् हमारे संघर्ष की पहचान है, और जन गण मन हमारे भविष्य के उत्साह की।”

कांग्रेस ने दो मुख्य कारण गिनाए — 

  1. पहला, सुभाषचंद्र बोस ने ‘आज़ाद हिंद फ़ौज’ के लिए ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान घोषित किया था और उसकी धुन भी तैयार की थी।
  2. दूसरा, राष्ट्रगान की धुन ऐसी होनी चाहिए जो विजय, पराक्रम और उत्साह को दर्शाए।

इसी भावना के साथ संविधान सभा ने निर्णय लिया कि ‘जन गण मन’ भारत की विजय का प्रतीक होगा और ‘वंदेमातरम्’ आज़ादी के संघर्ष की गौरवगाथा के रूप में राष्ट्रगीत रहेगा।

कांग्रेस ने संघ पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि “जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में एक दिन जेल की हवा नहीं खाई, वे आज वंदेमातरम् पर स्वामित्व जताने की कोशिश कर रहे हैं।” कांग्रेस ने कहा कि “RSS और भाजपा दोनों ने ही राष्ट्रवाद को एक राजनीतिक उत्पाद बना दिया है — जो बिकता है, वही उनका राष्ट्रभक्ति बन जाता है।”

कांग्रेस ने कहा — “आज वंदेमातरम् के नाम पर झूठ फैलाने वाले वही लोग हैं, जिन्होंने अंग्रेजों की गुलामी में नमस्ते सदा वत्सले गाया था। जिनके हाथों में तिरंगा तक देर से पहुँचा, वे आज झंडा थामकर इतिहास को जलाने निकले हैं।”

कांग्रेस ने दो टूक कहा: “वंदेमातरम् कांग्रेस का गर्व है, संघ की बनावट नहीं।” यह गीत उस मिट्टी से उपजा है जहाँ आज़ादी के लिए लहू बहा, न कि उन दफ्तरों से जहाँ सत्ता के आगे झुकना परंपरा बन गई।

कांग्रेस ने कहा — “RSS के पास वंदेमातरम् का नाम है, लेकिन उसकी आत्मा कभी नहीं थी। क्योंकि आत्मा संघर्ष में बसती है, चापलूसी में नहीं।”

 

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