तिरुवनंतपुरम, 1 नवंबर 2025
केरल ने सामाजिक और आर्थिक प्रगति के एक नए अध्याय की शुरुआत कर दी है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शुक्रवार को घोषणा की कि राज्य में अब एक भी व्यक्ति “अत्यंत गरीब” श्रेणी में नहीं आता। उन्होंने यह घोषणा राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी “नवकेरलम मिशन” की उपलब्धियों के तहत की, जो पिछले कई वर्षों से गरीब तबके के उत्थान के लिए संचालित हो रही है। विजयन ने कहा कि यह केवल एक प्रशासनिक सफलता नहीं बल्कि “मानव गरिमा की जीत” है — एक ऐसा मुकाम जहां किसी नागरिक को भूख, बेघरपन या सामाजिक बहिष्कार का डर नहीं रह गया है।
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि यह परिणाम वर्षों की योजनाबद्ध नीति, सामूहिक इच्छाशक्ति और जनसहभागिता का नतीजा है। “केरल मॉडल” लंबे समय से शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन इस बार सरकार ने ‘अत्यंत गरीबी’ को पूरी तरह समाप्त करने का ठोस लक्ष्य रखा था। इसके लिए राज्य सरकार ने करीब 2 लाख घरों को चिन्हित किया था जिन्हें जीवन-यापन, स्वास्थ्य, रोजगार और शिक्षा से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं की जरूरत थी। इन परिवारों के लिए पंचायतों से लेकर जिला स्तर तक अलग-अलग कार्ययोजनाएं बनाई गईं — किसी को मकान मिला, किसी को रोजगार प्रशिक्षण, तो किसी को सीधे आर्थिक सहायता।
पिनराई विजयन ने बताया कि सरकार ने प्रत्येक गरीब परिवार की जीवन-स्थिति का सूक्ष्म सर्वेक्षण कराया था। इस सर्वे में यह देखा गया कि गरीबी केवल आय की कमी नहीं बल्कि कई सामाजिक कारकों से जुड़ी समस्या है — जैसे स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच, रोजगार के अवसरों की कमी, और शिक्षा में पिछड़ापन। इसी को ध्यान में रखते हुए “नवकेरलम मिशन” के अंतर्गत योजनाओं को बहुआयामी बनाया गया। उन्होंने कहा, “हमने हर घर तक यह सुनिश्चित किया कि उन्हें खाना, शिक्षा, इलाज और आवास मिले। इसी वजह से अब हम कह सकते हैं कि केरल में कोई भी नागरिक अत्यंत गरीबी की स्थिति में नहीं है।”
विजयन ने इस मौके पर स्थानीय प्रशासन, स्वयंसेवी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया जिन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि इस उपलब्धि का मतलब यह नहीं कि केरल अब किसी सामाजिक चुनौती से मुक्त हो गया है — बल्कि अब राज्य का ध्यान “समान अवसरों” और “आर्थिक आत्मनिर्भरता” पर केंद्रित रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि देश के लिए भी प्रेरणास्रोत है और अन्य राज्यों को भी इसी दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए ताकि भारत “गरीबी-मुक्त राष्ट्र” बन सके।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह घोषणा विजयन सरकार की एक बड़ी राजनीतिक सफलता मानी जा रही है, खासकर उस समय जब देश के कई हिस्सों में बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई को लेकर असंतोष है। वहीं, विपक्षी दलों ने इस दावे की सत्यता पर सवाल उठाए हैं और मांग की है कि सरकार इस संबंध में विस्तृत आंकड़े सार्वजनिक करे। फिर भी, यह घोषणा केरल की “मानव विकास” नीति के स्थायित्व को दर्शाती है — एक ऐसा मॉडल जो दशकों से शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में देशभर के लिए उदाहरण बना हुआ है।




