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तेजस्वी: जीविका दीदियों को सरकारी दर्जा, ₹30,000 वेतन और ₹5 लाख बीमा—महिलाओं के सशक्तिकरण की नई दिशा

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बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने आज एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य की लाखों जीविका दीदियों और संविदाकर्मियों के लिए ऐतिहासिक और दूरगामी घोषणाएं की हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वर्तमान सरकार की गलत नीतियों और उदासीनता के कारण वर्षों से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण झेल रही जीविका दीदियों के जीवन में अब “गुणात्मक परिवर्तन” लाने का समय आ गया है। तेजस्वी यादव ने जीविका दीदियों की भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्हें “बिहार की आर्थिक रीढ़” बताया, जिन्होंने गाँव-गाँव में स्व-सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में क्रांतिकारी योगदान दिया है। 

उन्होंने मौजूदा सरकार पर इन मेहनतकश महिलाओं के साथ न्याय न करने का सीधा आरोप लगाते हुए घोषणा की कि आने वाले समय में वे इन्हें उनका अधिकार और सम्मान देंगे। इस घोषणा को महिला सशक्तिकरण, रोजगार सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जो सीधे तौर पर करीब 1 करोड़ महिलाओं को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।

जीविका दीदियों के लिए छह सूत्रीय आर्थिक क्रांति: स्थायित्व और सुरक्षा की गारंटी

तेजस्वी यादव ने जीविका दीदियों के लिए छह-सूत्रीय ‘आर्थिक क्रांति’ की घोषणा करते हुए उनके जीवन में स्थायित्व और सुरक्षा की गारंटी दी है। उनकी सबसे बड़ी घोषणा यह है कि जीविका CMs (कम्युनिटी मोबिलाइज़र) को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलेगा और उन्हें ₹30,000 प्रति माह का वेतन दिया जाएगा, जो उनके वर्तमान मानदेय की तुलना में एक बड़ी छलांग है। इसके अलावा, उन्होंने आर्थिक राहत देते हुए जीविका समूह की दीदियों द्वारा लिए गए सभी लोन पर ब्याज माफ़ करने का वादा किया है, यह कहते हुए कि “इन बहनों ने राज्य की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भरता का मॉडल दिया है, लेकिन बैंक और सरकारी दबावों ने इनके जीवन को बोझ बना दिया है।” राहत को आगे बढ़ाते हुए, अगले दो वर्षों तक जीविका समूह की सभी दीदियों को ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा, जिससे उन्हें नए व्यवसाय और आजीविका के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।

उनकी मेहनत को मान्यता देते हुए, उन्हें अब विभिन्न सरकारी कार्यों के निष्पादन के लिए प्रति माह ₹2000 का अतिरिक्त भत्ता भी मिलेगा। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, सभी जीविका कैडरों का ₹5 लाख तक का बीमा कवरेज किया जाएगा। अंततः, CLF (क्लस्टर लेवल फेडरेशन), VO (विलेज ऑर्गनाइज़ेशन) और समूह के अध्यक्ष एवं कोषाध्यक्षों को भी मानदेय प्रदान किया जाएगा, जो नेतृत्व स्तर पर जवाबदेही और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

संविदाकर्मियों को स्थायित्व का भरोसा और नीतीश सरकार पर सीधा निशाना

जीविका दीदियों के साथ-साथ, तेजस्वी यादव ने राज्य के लाखों संविदाकर्मियों के लिए भी एक बड़ा और बहुप्रतीक्षित ऐलान किया है। उन्होंने घोषणा की है कि बिहार में विभिन्न एजेंसियों, परियोजनाओं और विभागों में कार्यरत सभी संविदाकर्मियों को स्थायी किया जाएगा। तेजस्वी ने संविदाकर्मियों की दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “संविदा पर काम करने वाले कर्मचारी दिन-रात राज्य की सेवा में लगे हैं, लेकिन उन्हें न वेतन का भरोसा है, न सुरक्षा का। अब ये स्थिति नहीं रहेगी। 

हर संविदाकर्मी को स्थायित्व, सम्मान और सामाजिक सुरक्षा मिलेगी।” इस घोषणा के माध्यम से, उन्होंने उन लाखों कर्मचारियों को सुरक्षा और भविष्य की गारंटी देने की कोशिश की है जो वर्षों से अस्थायी नौकरी और कम वेतन के बोझ तले काम कर रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में, तेजस्वी यादव ने मौजूदा नीतीश सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि “आज बिहार में सरकार के गलत फैसलों और आर्थिक कुप्रबंधन ने लाखों महिलाओं को मजबूर कर दिया है कि वे कर्ज के बोझ में दब जाएं। यह सिर्फ़ आर्थिक नहीं, सामाजिक अन्याय भी है।” उन्होंने दृढ़ता से दावा किया कि उनकी ये घोषणाएं सिर्फ़ चुनावी वादे नहीं, बल्कि आने वाले समय में बिहार की “समानता आधारित आर्थिक क्रांति” की ठोस नींव होंगी।

राजनीतिक विश्लेषण: महिला राजनीति में बड़ा संदेश और चुनावी समीकरण पर असर

राजनीतिक विश्लेषक इस घोषणा को केवल एक प्रशासनिक सुधार के बजाय एक अत्यंत रणनीतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं। बिहार में जीविका समूह से जुड़ी करीब एक करोड़ महिलाएं सीधे तौर पर इस नीति से प्रभावित होंगी, और यह वही विशाल महिला वर्ग है, जिसने पिछले दशक में पंचायत और ग्राम स्तर पर सामाजिक नेतृत्व की भूमिका निभाई है। इस घोषणा के बाद तेजस्वी यादव ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि वे महिला शक्ति को सिर्फ़ नारेबाजी में नहीं, बल्कि ठोस नीतिगत निर्णयों के माध्यम से समानता और सशक्तिकरण में शामिल करना चाहते हैं।

 उनकी यह घोषणा आने वाले चुनावी समीकरणों पर गहरा असर डाल सकती है। यह एक ओर रोजगार सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस प्रगतिशील कदम है, तो दूसरी ओर, यह मौजूदा सरकार के विरुद्ध जनता में व्याप्त असंतोष को भी संगठित कर सकता है। निष्कर्षतः, तेजस्वी यादव की यह घोषणा बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देने, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने की क्षमता रखती है। यह बिहार की महिलाओं के लिए एक नई सुबह का संकेत है, बशर्ते इन साहसिक वादों को व्यवहार में लाया जाए।

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