बिहार की राजनीतिक तस्वीर में 23 अक्टूबर का दिन निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। इंडिया गठबंधन (INDIA Bloc) की एक अत्यंत महत्वपूर्ण और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस राजधानी पटना में आयोजित की जा रही है, जिसमें गठबंधन के प्रमुख दलों के शीर्ष नेता शामिल होंगे। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ़ एक औपचारिक मीडिया बैठक नहीं, बल्कि गठबंधन की दिशा, एकजुटता और आगामी चुनावी रणनीति तय करने वाला एक ऐतिहासिक मोड़ मानी जा रही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसी दिन कई सीटों पर नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिससे गठबंधन के भीतर सीट-समझौते और तालमेल की धुंधली तस्वीर पूरी तरह से साफ़ हो जाएगी। इस बड़े आयोजन में कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश साहनी, और CPI(ML) के नेता दीपांकर भट्टाचार्य जैसे प्रमुख चेहरे एक साझा मंच से मीडिया को संबोधित करेंगे और गठबंधन की ओर से एकीकृत रणनीति पेश करेंगे। यह संयुक्त संबोधन इस बात का स्पष्ट संकेत है कि कई हफ्तों से चली आ रही अंतर्विरोधों, असहमति और सीटों के टकराव को अब सुलझा लिया गया है, और RJD, कांग्रेस, तथा वामपंथी दलों के बीच चल रहे आंतरिक असंतोष की खबरें लगभग शांत हो चुकी हैं, जिससे गठबंधन एक मजबूत इकाई के रूप में उभरने की तैयारी में है। 24 अक्टूबर से तेजस्वी यादव पूरे बिहार के दौरे पर निकलेंगे, जनता के बीच सीधा संवाद होगा।
नामांकन वापसी के साथ नई शुरुआत: ‘एक सीट, एक उम्मीदवार’ सिद्धांत को अंतिम रूप देने की तैयारी
INDIA गठबंधन ने अपनी राजनीतिक परिपक्वता का प्रदर्शन करते हुए नामांकन वापसी की अंतिम तारीख (23 अक्टूबर) को ही रणनीतिक रूप से यह प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य अनावश्यक त्रिकोणीय या चतुर्भुज मुकाबलों से बचना और विपक्षी वोटों के बिखराव को रोकना है। जानकारी के मुताबिक, कई उम्मीदवार जो बगावत या असंतोष के चलते निर्दलीय या छोटे दलों से मैदान में उतर चुके थे, वे अब गठबंधन के दबाव और आपसी सहमति के बाद अपना नामांकन वापस ले सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि इस बार गठबंधन “एक सीट, एक उम्मीदवार” के सिद्धांत को अंतिम रूप देने की तैयारी में है, जो एक सफल गठबंधन राजनीति के लिए अत्यंत आवश्यक है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि INDIA गठबंधन (महागठबंधनधन) को यह परिणाम-उन्मुख परिपक्वता पहले दिखानी चाहिए थी, क्योंकि बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में जहाँ जातीय समीकरण और गठबंधन का तालमेल चुनावी परिणाम तय करते हैं, वहाँ शुरुआती हफ्तों में असंतुलन विपक्ष के लिए नुकसानदेह साबित हुआ था। हालांकि, यह स्पष्ट है कि गठबंधन ने अपने भीतर आत्ममंथन करके सामंजस्य की राह अपनाई है, जिसमें कांग्रेस ने लचीला रुख दिखाया है और RJD ने सहयोगी दलों को उचित सम्मान देकर एक “बड़े भाई” की प्रभावी भूमिका निभाई है।
तेजस्वी यादव और सहयोगी दलों की भूमिका: दरारें भरने की कवायद और नई रणनीति
इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मानी जा रही है। तेजस्वी ने हाल के दिनों में जिस संयम और व्यवहारिकता का प्रदर्शन किया है, उसने न सिर्फ़ गठबंधन के भीतर विश्वास बहाल किया है बल्कि विपक्षी खेमे को भी सतर्क कर दिया है। वे अब खुद को केवल युवा और आक्रामक चेहरे के रूप में नहीं, बल्कि एक समझदार और संयमित रणनीतिकार की छवि बनाने में सफल हो रहे हैं। तेजस्वी यादव और कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू के बीच हाल में हुई निर्णायक बैठकों को भी इसी दिशा में देखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इन बैठकों में यह तय किया गया है कि INDIA गठबंधन अब आक्रामक बयानबाज़ी के बजाय संयमित, केंद्रित और नीति-आधारित अभियान पर ध्यान केंद्रित करेगा।
इसके साथ ही, वाम दलों के नेता दीपांकर भट्टाचार्य और VIP प्रमुख मुकेश साहनी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूदगी इस बात की गारंटी है कि गठबंधन अब सभी छोटे लेकिन असरदार दलों को साथ लेकर चलने की समावेशी रणनीति अपना रहा है। मुकेश साहनी, जो कुछ समय से RJD से असंतुष्ट बताए जा रहे थे, का फिर से गठबंधन के मंच पर आना स्पष्ट संकेत है कि आंतरिक दरारें भर चुकी हैं और गठबंधन एकजुटता के साथ आगे बढ़ने को तैयार है, जिसका उद्देश्य वाम वोटों और अति पिछड़े समुदाय के वोटों का कोई विभाजन न होने देना है।
निष्कर्ष: पुनर्जीवन की शुरुआत और राजनीतिक परिपक्वता की परीक्षा
23 अक्टूबर की यह संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ़ एक घोषणा नहीं, बल्कि INDIA गठबंधन के पुनर्जीवन की शुरुआत मानी जा रही है। संभावना है कि इस बैठक में संयुक्त रैली की रूपरेखा, उम्मीदवार सूची का अंतिम समायोजन, और साझा घोषणापत्र के कुछ मुख्य बिंदुओं की झलक भी दी जाएगी, जिसके बाद एक संयुक्त फोटो-सेशन और नारा रिलीज़ किया जाएगा, जो जनता के बीच गठबंधन की एकरूपता का प्रतीक बनेगा।
बिहार की जनता अब यह देखने को उत्सुक है कि क्या INDIA गठबंधन अपनी आपसी मतभेदों से ऊपर उठकर एक मज़बूत और प्रभावी चुनावी चुनौती पेश कर पाएगा। यह राजनीतिक सिद्धांत है कि देर से ली गई, मगर सही दिशा भी चुनाव परिणामों में मायने रखती है, और यह गठबंधन अब उसी दिशा में दृढ़ता के साथ बढ़ता दिख रहा है। 23 अक्टूबर की यह प्रेस कॉन्फ्रेंस सिर्फ़ एक तारीख नहीं, बल्कि INDIA गठबंधन की राजनीतिक परिपक्वता और एकजुटता की एक महत्वपूर्ण परीक्षा होगी।