पुरानी दिल्ली की भीड़भाड़ वाली गलियों में इस बार दीपावली की रौनक कुछ अलग थी। सदियों पुरानी ‘घंटेवाला मिठाई की दुकान’ में जब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पहुँचे, तो कड़ाही में खौलते घी की खुशबू में राजनीति की नरम मिठास घुल गई। राहुल गांधी ने बेसन के लड्डू और इमरती बनाते हुए न सिर्फ़ परंपरा को छुआ, बल्कि दुकानदारों और कारीगरों के साथ घुल-मिलकर ‘दिल्ली की दिल से दीपावली’ मनाई।
घंटेवाला की मिठाई का 235 साल पुराना इतिहास गवाह बना उस पल का, जब राहुल गांधी ने दीपक जलाकर कहा — “दीपावली की असली रोशनी दीयों से नहीं, मुस्कुराते चेहरों से होती है।” उनकी सहजता से प्रभावित दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा — “अब आप जल्दी शादी कर लीजिए, मिठाई की मिठास अधूरी लग रही है!” राहुल भी मुस्कुराए, और पूरे माहौल में अपनापन घुल गया।
यह दौरा केवल मिठाई या परंपरा तक सीमित नहीं था। राहुल गांधी ने व्यापारियों और कारीगरों से rising costs, GST, और पारंपरिक व्यवसायों की गिरती स्थिति पर विस्तार से बातचीत की। उन्होंने कहा कि भारत की असली ताकत छोटे व्यापारियों और कारीगरों के हाथों में है — वही देश की आत्मा को ज़िंदा रखते हैं।
घंटेवाला की दुकान जहाँ कभी मुग़ल बादशाहों और आज़ादी के नायकों के लिए मिठाई भेजी जाती थी, आज राहुल गांधी की उपस्थिति से एक बार फिर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। यह मुलाक़ात सिर्फ़ एक त्योहारी क्षण नहीं थी — यह पुरानी दिल्ली के दिल में बसे भारत की आत्मा से जुड़ने का क्षण था। दीपावली की शाम जब ख़त्म हुई, तो दुकान से उठती मिठास और लोगों के चेहरों पर चमक दोनों यही कह रहे थे। “दीए जलाना आसान है, पर रिश्तों में रोशनी भरना ही सच्ची दीपावली है।”