वॉशिंगटन / कराकास 18 अक्टूबर 2025
लैटिन अमेरिका के आसमान में एक अप्रत्याशित और भीषण गड़गड़ाहट ने भू-राजनीतिक समीकरणों को हिलाकर रख दिया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में यह गंभीर चिंता पैदा हो गई है कि क्या कैरिबियन क्षेत्र एक नए सैन्य तनाव की ओर बढ़ रहा है। एयरक्राफ्ट ट्रैकिंग डेटा और अमेरिकी रक्षा सूत्रों से लीक हुई विश्वसनीय जानकारी के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका की वायु सेना ने अपनी तीन B-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस बॉम्बर विमानों को वेनेज़ुएला की समुद्री सीमा के बेहद नज़दीक उड़ाया, जिससे कराकास में आक्रोश फैल गया है। यह आक्रामक उड़ान कैरिबियन सागर के ऊपर लगभग 150 मील (240 किलोमीटर) की दूरी पर दर्ज की गई थी, जो अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र की सीमा पर एक स्पष्ट शक्ति प्रदर्शन (Show of Force) थी।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि ये भारी-भरकम, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम युद्धक विमान लुइज़ियाना स्थित बार्क्सडेल एयर बेस से लंबी उड़ान भरकर वेनेज़ुएला के तट तक पहुँचे और वहाँ कई घंटों तक गश्त करते रहे, जिसके बाद वे अपने बेस पर वापस लौटे। बीबीसी और वॉशिंगटन पोस्ट समेत प्रमुख पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने इस उड़ान को केवल एक ‘अभ्यास’ न मानते हुए, इसे वेनेज़ुएला की संप्रभुता को दी गई एक स्पष्ट और आक्रामक राजनीतिक चेतावनी के रूप में विश्लेषित किया है।
B-52: युद्ध के प्रतीक बनकर लौटे अमेरिकी बॉम्बर — आक्रामक मिशन का संकेत
B-52 स्ट्रैटोफोर्ट्रेस विमान अमेरिकी सैन्य शक्ति और रणनीतिक प्रभुत्व का सबसे पुराना, विश्वसनीय और ताकतवर प्रतीक माने जाते हैं, और इनकी तैनाती का निर्णय कभी भी हल्के में नहीं लिया जाता। ये विमान न केवल पारंपरिक उच्च-विस्फोटक बम, बल्कि परमाणु हथियार और लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइलें तक ले जाने में सक्षम हैं, जिससे इनकी उपस्थिति को वेनेज़ुएला की सरकार ने एक खुली युद्धक धमकी के रूप में देखा। इन बॉम्बरों का उड़ान क्षेत्र (Range) इतना विशाल होता है कि ये किसी भी देश की सीमा से बाहर रहकर भी गहरे और निर्णायक हमले करने की क्षमता रखते हैं।
हालाँकि अमेरिकी रक्षा विभाग ने इस मिशन की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की, लेकिन ओपन-सोर्स फ़्लाइट ट्रैकिंग नेटवर्क्स ने पूरी सटीकता के साथ पुष्टि की कि तीन B-52 विमानों ने कैरिबियन के दक्षिणी क्षेत्र में वेनेज़ुएला की समुद्री और हवाई सीमा के पास खतरनाक उड़ान भरी। इन विमानों की उड़ान की गति, ऊँचाई और उड़ान पथ को सामान्य सैन्य अभ्यास से कहीं अधिक आक्रामक और निगरानी-उन्मुख बताया गया है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यह एक प्री-प्लान्ड और टारगेटेड मिशन था।
वेनेज़ुएला ने दी कड़ी चेतावनी — ‘यह हमारे देश के खिलाफ युद्ध का ट्रेलर है’
वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने इस अमेरिकी उकसावे पर अत्यंत कड़ा और जवाबी हमला बोला है। उन्होंने इस घटना को लेकर अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और एक आपातकालीन राष्ट्रीय संबोधन में कहा — “यह कोई गलती या आकस्मिक भटकन नहीं है, यह संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा की गई स्पष्ट और खुली उकसाहट है। वे हमारे देश की समुद्री और हवाई सीमाओं का जानबूझकर परीक्षण कर रहे हैं।” मादुरो ने दृढ़तापूर्वक कहा कि अमेरिका का यह कार्य “लोकतंत्र की रक्षा” के नाम पर नहीं किया जा रहा है, बल्कि यह सीधे तौर पर वेनेज़ुएला की “राष्ट्रीय संप्रभुता को चुनौती देने और हमारी आंतरिक स्थिरता को भंग करने का एक हताश प्रयास” है।
इस खतरे को गंभीरता से लेते हुए, मादुरो ने वेनेज़ुएला की वायु सेना (FAV) को तत्काल “हाई अलर्ट” पर डाल दिया है और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी विदेशी जहाज या विमान को देश की हवाई सीमा या विशेष आर्थिक क्षेत्र के करीब नहीं आने दिया जाएगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस B-52 उड़ान का वास्तविक उद्देश्य वेनेज़ुएला के तेल भंडार और संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों की विस्तृत निगरानी करना था।
अमेरिकी प्रतिक्रिया और ‘कैरिबियन थंडर’ मिशन का रहस्य
वॉशिंगटन ने इस विवादास्पद घटना पर आधिकारिक रूप से कोई विस्तृत टिप्पणी करने से परहेज़ किया, जिससे संदेह और गहरा हो गया, लेकिन अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अनाम प्रवक्ता ने इस पर सामान्य कूटनीतिक प्रतिक्रिया दी। प्रवक्ता ने केवल इतना कहा कि “यह उड़ान किसी विशेष देश को लक्षित करके नहीं की गई थी। यह केवल एक सामान्य रणनीतिक ऑपरेशन का हिस्सा थी, जिसका प्राथमिक उद्देश्य वैश्विक स्थिरता बनाए रखना और अमेरिकी सैन्य क्षमताओं को प्रदर्शित करना है।”
अमेरिकी मीडिया इस ऑपरेशन को “मिशन कैरिबियन थंडर” के नाम से जोड़ रहा है, जो कथित तौर पर लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में नार्कोट्रैफ़िक गतिविधियों, ईरानी प्रभाव और रूसी सैन्य दखल पर व्यापक नज़र रखने के लिए चलाया जा रहा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका पिछले कुछ हफ्तों से कैरिबियन सागर में अपनी नौसैनिक और हवाई गतिविधियों को लगातार तेज़ कर रहा है, और यह B-52 उड़ान उसी विस्तारित सैन्य रणनीति का एक स्पष्ट और उच्च-जोखिम वाला हिस्सा थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल एक सैन्य अभ्यास नहीं है, बल्कि वेनेज़ुएला पर तेल और व्यापार प्रतिबंधों के अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक और सैन्य दबाव बनाने की एक सुनियोजित चाल है।
रूस और चीन का पलटवार — ‘अमेरिका बारूद के ढेर पर खेल रहा है’
अंतरराष्ट्रीय तनाव को और बढ़ाते हुए, रूस और चीन, जो वेनेज़ुएला के प्रमुख रणनीतिक सहयोगी हैं, दोनों ने इस अमेरिकी उकसावे की तीखी आलोचना की है। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक कठोर बयान जारी करते हुए कहा — “संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कानून और संप्रभुता के सिद्धांतों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई हैं।
यह सैन्य उड़ान न केवल वेनेज़ुएला की राष्ट्रीय सुरक्षा, बल्कि पूरे कैरिबियन क्षेत्र की क्षेत्रीय स्थिरता को गंभीर खतरे में डालती है।” रूस ने अमेरिका से गैर-ज़िम्मेदाराना सैन्य कार्रवाई बंद करने की मांग की। इसी तरह, चीन ने भी इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अमेरिका “वैश्विक प्रभुत्व के भ्रम” में सैन्य आक्रामकता दिखा रहा है, जिससे दक्षिण अमेरिका में स्थिरता और शांति भंग होने का खतरा है। दोनों महाशक्तियों की यह प्रतिक्रिया स्पष्ट करती है कि वे इस क्षेत्र में वेनेज़ुएला के प्रति अपने समर्थन को कम नहीं करेंगे, और यह घटना लैटिन अमेरिका को भू-राजनीतिक खींचतान का एक नया और खतरनाक केंद्र बना रही है, जहाँ अमेरिका एक तरफ और वेनेज़ुएला-रूस-चीन का गठजोड़ दूसरी तरफ खड़ा है।
आसमान में उड़ान, ज़मीन पर सियासत और युद्ध का संकेत
अमेरिकी B-52 बॉम्बर की वेनेज़ुएला के तट के पास की यह आक्रामक उड़ान केवल एक तकनीकी सैन्य ऑपरेशन नहीं थी, बल्कि यह वॉशिंगटन की ओर से एक शक्तिशाली और धमकी भरा राजनीतिक संदेश था — कि अमेरिका किसी भी समय, किसी भी जगह अपनी सैन्य क्षमताएं प्रदर्शित करने और अपने विरोधियों को निगरानी में लेने की क्षमता रखता है।
मादुरो की ‘हाई अलर्ट’ की घोषणा और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी देशों की निंदा ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कैरिबियन का आसमान अब शांति का क्षेत्र नहीं, बल्कि उच्च-जोखिम वाली भू-राजनीतिक रणनीति का एक सक्रिय रणक्षेत्र बन चुका है। यह घटना लैटिन अमेरिका में एक नए ‘शैडो वॉर’ की शुरुआत का संकेत देती है, जहाँ सैन्य उड़ानें और खुफिया डेटा युद्ध के नए उपकरण बन चुके हैं, और वैश्विक महाशक्तियाँ सीधे टकराव से बचने की कोशिश करते हुए भी एक-दूसरे की संप्रभुता का परीक्षण कर रही हैं।