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द लाइन : सऊदी अरब में बन रहा 170 किमी लंबा ‘भविष्य का शहर’, जहां 90 लाख लोग रहेंगे बिना गाड़ियाँ, बिना प्रदूषण

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रियाद 16 अक्टूबर 2025

रेगिस्तान के बीच भविष्य का चमत्कार

सऊदी अरब दुनिया को एक ऐसे शहर का सपना दिखा रहा है जो अब तक केवल विज्ञान-फिक्शन फिल्मों में देखा गया था। यह है “द लाइन (The Line)” — एक 170 किलोमीटर लंबी, पूरी तरह से सीधी रेखा में बनी भविष्य की स्मार्ट सिटी, जो देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में बन रहे NEOM प्रोजेक्ट का सबसे महत्वाकांक्षी हिस्सा है। इस परियोजना का उद्देश्य सऊदी अरब को तेल-आधारित अर्थव्यवस्था से निकालकर एक हाई-टेक और ग्रीन इनोवेशन हब में बदलना है। इस शहर में करीब 90 लाख लोग रहेंगे, और यह दिल्ली से 17 गुना बड़ा होने वाला है। यह कोई साधारण निर्माण नहीं, बल्कि इंसान की कल्पना और इंजीनियरिंग की सीमाओं को पार करने वाली परियोजना है।

170 किमी लंबी, 500 मीटर ऊँची और पूरी तरह शीशे से ढकी इमारत

‘द लाइन’ की सबसे हैरान कर देने वाली बात इसका आर्किटेक्चर है। यह शहर एक लंबी 170 किमी की दीवारनुमा इमारत के अंदर बनाया जा रहा है, जिसकी ऊँचाई लगभग 500 मीटर होगी — यानी एम्पायर स्टेट बिल्डिंग के बराबर। यह इमारत दो समानांतर दीवारों की तरह होगी, जो शीशे (mirror glass) से ढकी होंगी। इन दीवारों के बीच का हिस्सा ही शहर होगा, जिसमें घर, स्कूल, दफ्तर, पार्क और बाजार सब कुछ शामिल रहेगा। यहां की खासियत यह है कि शहर में कारें नहीं चलेंगी, और पूरा क्षेत्र 100% कार्बन-फ्री होगा। लोगों के आने-जाने के लिए अल्ट्रा-फास्ट ट्रांजिट सिस्टम होगा, जो 20 मिनट में एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जाएगा।

सस्टेनेबल सिटी — जहाँ प्रकृति और तकनीक का संगम होगा

‘द लाइन’ को एक ऐसे मॉडल सिटी के रूप में डिजाइन किया गया है, जो प्राकृतिक संसाधनों और आधुनिक तकनीक का अद्भुत संगम होगा। इस शहर में कोई सड़क, कोई गाड़ी, कोई प्रदूषण नहीं होगा। ऊर्जा का पूरा स्रोत सौर और पवन ऊर्जा से लिया जाएगा। पानी के लिए डिसेलिनेशन प्लांट्स बनाए जा रहे हैं जो समुद्री पानी को शुद्ध कर पीने योग्य बनाएंगे। हर व्यक्ति के घर और दफ्तर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संचालित किया जाएगा, जो उनकी जरूरतों को पहले से पहचान लेगा। शहर का तापमान भी इस तरह से नियंत्रित रहेगा कि गर्मियों में भी वातावरण सुहावना बना रहे।

भविष्य की जीवनशैली — हर ज़रूरत 5 मिनट की दूरी पर

इस शहर का डिजाइन ‘5-minute living concept’ पर आधारित है। यानी हर व्यक्ति की आवश्यकताएं — स्कूल, दवाइयां, दुकानें, अस्पताल और मनोरंजन स्थल — उसके घर से 5 मिनट की दूरी पर होंगी। यह शहर वर्टिकल (ऊर्ध्वाधर) रूप से विकसित होगा, जिससे भूमि का उपयोग कम होगा और पैदल चलने की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। यहां हर निवासी के पास हाई-स्पीड इंटरनेट, स्मार्ट हेल्थ सिस्टम, और AI-आधारित सुरक्षा नेटवर्क होगा। भविष्य के इस शहर में जीवन का मतलब होगा — सुविधा, हरियाली और तकनीक का सम्मिश्रण।

$500 अरब डॉलर की लागत और वैश्विक निवेश की दौड़

“द लाइन” का निर्माण NEOM प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है, जिसकी कुल अनुमानित लागत $500 अरब (लगभग 41 लाख करोड़ रुपये) बताई जा रही है। यह सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जो “Vision 2030” का हिस्सा है। उनका लक्ष्य है कि 2030 तक सऊदी अरब को तेल-निर्भर देश से तकनीक-आधारित आधुनिक राष्ट्र बनाया जाए। इस परियोजना में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां और आर्किटेक्ट्स हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें अमेरिका, जापान, फ्रांस और जर्मनी की कंपनियां शामिल हैं।

हालांकि, रिपोर्ट्स के अनुसार, परियोजना की रफ्तार थोड़ी धीमी हो गई है और कुछ हिस्सों में निर्माण कार्य निर्धारित समय से पीछे चल रहा है। फिर भी, NEOM प्रशासन का दावा है कि 2030 तक “द लाइन” का पहला चरण पूरी तरह तैयार हो जाएगा।

दुनिया देख रही है सऊदी का नया चेहरा

“द लाइन” केवल एक शहर नहीं, बल्कि सऊदी अरब के भविष्य की पहचान बनने जा रहा है। जहां कभी रेगिस्तान और तेल के कुएं थे, अब वहां तकनीक, नवाचार और मानव जीवन का नया मॉडल उभर रहा है। यह प्रोजेक्ट न केवल अरब दुनिया बल्कि पूरी मानव सभ्यता के लिए यह संदेश है कि अगर इच्छाशक्ति और दृष्टि हो, तो रेगिस्तान भी सपनों का शहर बन सकता है।

हालांकि, पर्यावरणविदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस परियोजना को लेकर कुछ चिंताएं भी जताई हैं — जैसे विस्थापन, प्राकृतिक संतुलन और निर्माण से जुड़ी पारिस्थितिक चुनौतियाँ। पर सऊदी सरकार का कहना है कि यह शहर “धरती का सबसे हरा-भरा और टिकाऊ मानव निवास” साबित होगा।

 भविष्य अब दूर नहीं, बस सीधी ‘लाइन’ में है

“द लाइन” सिर्फ एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की दिशा बदलने वाला प्रयोग है। जहां दुनिया के बड़े शहर प्रदूषण, ट्रैफिक और असमानता से जूझ रहे हैं, वहीं सऊदी अरब एक ऐसे शहर की नींव रख रहा है जो शून्य प्रदूषण, शून्य कार, और शून्य वेस्ट के सिद्धांत पर आधारित है।

यह परियोजना यह बताती है कि आने वाले दशक में शहर सिर्फ रहने की जगह नहीं होंगे, बल्कि सोचने, जीने और जुड़ने की नई परिभाषा बन जाएंगे। 170 किलोमीटर लंबा यह चमत्कार दुनिया को दिखा रहा है कि भविष्य अब कल्पना नहीं — निर्माणाधीन हकीकत है।

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