ओस्लो / विश्व — 11 अक्टूबर 2025
इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेज़ुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो को दिया गया। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उम्मीदें इस सम्मान को पाने की थीं, लेकिन आखिरकार उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला। आइए जानें — कई युद्धों को रोकने का दावा करने के बावजूद, ट्रम्प आखिर क्यों नोबेल शांति पुरस्कार नहीं जीत सके:
ट्रम्प की दावेदारियों और समर्थकों का दावा
ट्रम्प ने वर्षों से यह दावा किया कि उन्होंने कई संघर्षों को शान्ति की ओर मोड़ा है — जैसे इज़राइल-हामास संघर्ष में मध्यस्थता, भारत-पाकिस्तान के तनाव को कम करना, और मध्य पूर्व में सौदेबाज़ियाँ करना। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई बार नामांकित किया गया — कुछ देशों और नेताओं ने उन्हें प्रस्तावित किया। ट्रम्प समर्थकों का तर्क था कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संघर्षों में सक्रिय भूमिका निभाई, और इसलिए उन्हें यह सम्मान मिलना चाहिए।
क्यों नहीं हुआ — नोबेल कमिटी की प्राथमिकताएँ और विवाद
- समयसीमा और नामांकन की बाधाएं
नॉर्वे की नोबेल समिति के नियमों के अनुसार, नामांकन एक निश्चित तिथि (आमतौर पर फरवरी की शुरुआत) के पहले किए जाने चाहिए। ट्रम्प के लिए कई नामांकन इस समयसीमा के बाद हुए — जिससे उन्हें 2025 के चयन में शामिल करना कठिन हो गया।
- लॉबिंग और आत्म-प्रचार का भारी स्वरूप
ट्रम्प ने खुले रूप से प्रचार किया कि उन्हें यह पुरस्कार मिलना चाहिए, और उन्होंने कई राजनीतिक व मीडिया हस्तक्षेप किए। नोबेल कमिटी पारंपरिक रूप से इस तरह की लॉबिंग में प्रभावित नहीं होती — वे बाहरी दबावों से सूक्ष्म दूरी बनाए रखती है।
- स्थायित्व और व्यापक प्रभाव का अभाव
पुरस्कार के निर्णय में यह देखा जाता है कि व्यक्ति की पहल कितनी दीर्घकालीन और व्यापक शांति-प्रगति में योगदान करती है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प के जो दावे हैं, वे संघर्षों के जड़ तक नहीं पहुँचते — वे अस्थायी रुकाव हैं, स्थायी समाधान नहीं। इतल ही नहीं, ट्रम्प की कई नीतियाँ — जैसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों से वापसी, विदेश सहायता में कटौती — उन्हें नोबेल के शांति के मानदंडों से दूर करती हैं।
विवाद और आलोचनाएँ
ट्रम्प की अंतरराष्ट्रीय छवि और विवादित व्यवहार (उग्र रुख, दमनकारी नीतियाँ) भी एक बाधा रहा। नोबेल समिति को यह सुनिश्चित करना होता है कि पुरस्कार उन हस्तियों को मिले जिनका योगदान शांतिप्रिय और वैश्विक विश्वास को मजबूत करे — और विवादों से लैस व्यक्तियों को चुनना जोखिम भरा माना जाता है।