गुजरात ने इस वर्ष 76वें गणतंत्र दिवस को ऐतिहासिक उल्लास और अद्वितीय सांस्कृतिक भव्यता के साथ मनाया। यह अवसर न केवल राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक रहा, बल्कि तापी जिले में हुए राज्य स्तरीय मुख्य समारोह ने इसे एक ऐसी स्मृति में बदल दिया, जो वर्षों तक जनमानस में जीवित रहेगी।
इस बार के आयोजन की विशेष बात यह रही कि राज्य सरकार ने तापी जिले को गणतंत्र दिवस के केंद्रीय मंच के रूप में चुना, जिससे इस आदिवासी बहुल क्षेत्र को राष्ट्रीय उत्सव से जोड़ने का एक सशक्त संदेश दिया गया। समारोह में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल ने ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली और उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। उन्होंने गणराज्य की भावना, लोकतांत्रिक मूल्यों और गुजरात के विकास मॉडल पर प्रकाश डालते हुए सबका उत्साह बढ़ाया।
तापी के ऐतिहासिक मैदान में आयोजित समारोह में 5,000 से अधिक लोक कलाकारों ने एक साथ प्रस्तुति दी — यह न केवल संख्या में एक विशाल आयोजन था, बल्कि कलात्मक सौंदर्य और विविध सांस्कृतिक परंपराओं का संगम भी था। गरबा, रास, आदिवासी नृत्य, योग प्रदर्शन, स्वच्छ भारत अभियान पर आधारित झांकियां और ‘हर घर तिरंगा’ जैसे अभियानों की जीवंत प्रस्तुतियां दर्शकों को भावविभोर कर गईं।
राज्य सरकार ने इस आयोजन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए तापी प्रशासन को ₹2.5 करोड़ की विशेष सहायता राशि प्रदान की, जिसे अतिथि स्वागत, सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यवस्था में प्रयोग किया गया। मुख्यमंत्री पटेल ने प्रशासन और स्थानीय नागरिकों की सराहना करते हुए कहा कि, “तापी ने जो समर्पण, अनुशासन और उत्साह दिखाया है, वह पूरे गुजरात के लिए प्रेरणा है।”
इस आयोजन ने यह भी सिद्ध किया कि गणतंत्र दिवस केवल राजधानी या प्रमुख शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि अब वह गांव–कस्बों और दूरस्थ जिलों में भी उसी जोश और सम्मान के साथ मनाया जा सकता है। तापी जैसे जनजातीय क्षेत्र में ऐसा आयोजन करना सांस्कृतिक समावेशिता, सामाजिक एकता और क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
संक्षेप में, गुजरात का यह 76वां गणतंत्र दिवस न केवल एक राष्ट्रीय उत्सव था, बल्कि यह गुजरात के सांस्कृतिक आत्मबल, सामाजिक समरसता और प्रशासनिक कुशलता का अद्भुत प्रदर्शन भी था। इसने यह संदेश दिया कि भारत का गणराज्य हर कोने में जीवंत है, और हर नागरिक उसकी गरिमा का संवाहक है।