नई दिल्ली 9 नवंबर 2025
बिहार विधानसभा चुनावों के बीच देश की राजनीति में एक और विस्फोट तब हुआ जब वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने एक सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि 3 नवंबर 2025 को हरियाणा से बिहार तक चार ‘स्पेशल ट्रेनें’ चलाई गईं, जिनमें कुल 6,000 लोग सवार थे। सिब्बल ने दावा किया कि ये ट्रेनें मतदान से ठीक पहले चलाई गईं और इनका उद्देश्य क्या था, यह जान-बूझकर देश से छिपाया जा रहा है। उनका बड़ा सवाल था—“क्या ये बिहार के वास्तविक मतदाता थे, या फिर यह किसी योजनाबद्ध चुनावी ऑपरेशन का हिस्सा था?”
सिब्बल ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से सीधे-सीधे जवाब मांगते हुए कहा कि यह संयोग नहीं हो सकता कि चुनाव से चंद घंटों पहले अचानक हरियाणा जैसे राज्य से हजारों लोग बिहार पहुंचाए जाएं। उन्होंने पूछा कि अगर यह त्योहारों की भीड़ थी, तो यह भीड़ सिर्फ चुनाव से दो दिन पहले ही क्यों उमड़ी? उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय रेल का “फेस्टिवल स्पेशल” वाला तर्क जनता को गुमराह करने का प्रयास है, क्योंकि हजारों स्पेशल ट्रेनों में से सिर्फ चार ट्रेनें हरियाणा से बिहार भेजी गईं, और वही भी उसी दिन जब अगले चरण का मतदान होने वाला था।
कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग की चुप्पी सबसे ज्यादा संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि जब विपक्ष सवाल उठाता है, तो आयोग जवाब देने के बजाय मौन साध लेता है, जबकि लोकतंत्र की पारदर्शिता सुनिश्चित करना उसी की जिम्मेदारी है। सिब्बल ने कहा कि यदि यह ट्रेनें सामान्य त्योहारों की भीड़ थीं, तो रेलवे को तत्काल इन ट्रेनों के मैनिफेस्ट, टिकट बुकिंग रिकॉर्ड, यात्री विवरण और मार्ग-सूची सार्वजनिक करनी चाहिए। “अगर सब ठीक है, तो इसे छिपाया क्यों जा रहा है?” उन्होंने पूछा।
उन्होंने यह भी कहा कि देशभर में पहले से ही ‘फर्जी वोटरों’, ‘डबल वोटिंग’ और ‘माइग्रेंट वोट बैंक’ को लेकर सवाल उठ रहे हैं। हरियाणा चुनावों में 25 लाख फर्जी वोटरों का मुद्दा पहले से चर्चा में है, और अब बिहार चुनाव से ठीक पहले इस तरह की ‘स्पेशल ट्रेन मूवमेंट’ ने संदेह को और गहरा कर दिया है। सिब्बल ने कहा कि यदि यह “वोट शिफ्टिंग” ऑपरेशन था, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे खतरनाक संदेश है—क्योंकि इससे साफ होता है कि चुनाव केवल बूथों पर नहीं, बल्कि पर्दे के पीछे भी खेला जा रहा है।
रेल मंत्रालय ने बयान दिया कि ये ट्रेनें दिवाली और छठ पूजा के लिए चलाई गईं “फेस्टिवल स्पेशल” सेवाओं का हिस्सा थीं—लेकिन सिब्बल ने इसे आधा सच बताते हुए कहा कि ऐसी सेवाएँ आमतौर पर ईस्टर्न और मिड-ईस्टर्न रूट पर चलाई जाती हैं, न कि हरियाणा जैसे राज्य से, जहां से आमतौर पर बिहार की ओर इतने बड़े पैमाने पर प्रवासी लौटते भी नहीं। उन्होंने कहा, “कोई भी डेटा यह नहीं दिखाता कि हरियाणा से अचानक 6,000 लोग छठ मनाने बिहार आते हैं। यह राजनीतिक इंजीनियरिंग की बू देता है।”
सिब्बल ने यह भी कहा कि अगर सरकार और रेलवे के पास छिपाने को कुछ नहीं है, तो वे क्यों नहीं इन ट्रेनों की CCTV फुटेज, बोर्डिंग-डीबोर्डिंग डेटा और यात्री सूची सार्वजनिक करते? उन्होंने तंज कसते हुए कहा—“क्या इन ट्रेनों में मतदाता थे, या मतदाताओं के रूप में भेजे गए प्रोफेशनल वोटर?”
इस मुद्दे ने सोशल मीडिया पर भी तूफान मचा दिया है, जहां कई लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब चुनाव आयोग पहले से ही वोटर लिस्ट और फर्जी वोटिंग पर सवालों से घिरा है, तो क्या यह ट्रेन प्रकरण भी उसी बड़े पैटर्न का हिस्सा है? विपक्षी दलों का कहना है कि यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि चुनावी मशीनरी को प्रभावित करने की एक संभावित कोशिश है जिसे उजागर करना अब राष्ट्रीय जिम्मेदारी बन चुका है।
कपिल सिब्बल के इस आरोप ने बिहार चुनाव में एक नई आग लगा दी है—और जब तक रेल मंत्री और चुनाव आयोग इन सवालों का जवाब नहीं देते, यह मुद्दा शांत होने वाला नहीं है।




