पंजाब के जलंधर जिले के सिविल अस्पताल में शनिवार को उस समय हड़कंप मच गया जब ऑक्सीजन सप्लाई में आई कथित तकनीकी गड़बड़ी के कारण तीन मरीजों की मौत हो गई। मृतकों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं और कहा है कि समय रहते अगर ऑक्सीजन की सप्लाई बहाल की जाती तो जानें बचाई जा सकती थीं।
घटना के बाद आक्रोशित परिजनों और स्थानीय लोगों ने अस्पताल के बाहर प्रदर्शन करते हुए दोषी कर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। परिजनों का आरोप है कि वार्ड में ऑक्सीजन का दबाव अचानक गिर गया, जिसके बाद मरीजों की हालत बिगड़ती चली गई, लेकिन मेडिकल स्टाफ समय पर सक्रिय नहीं हुआ। एक मृतक के रिश्तेदार ने बताया, “हमने कई बार स्टाफ को बुलाया, लेकिन कोई डॉक्टर या तकनीशियन नहीं आया। जब तक ऑक्सीजन सप्लाई ठीक हुई, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।”
जलंधर के उपायुक्त ने इस मामले की तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं और एक उच्चस्तरीय कमेटी गठित की गई है जो पूरे मामले की तह तक जाएगी। सिविल सर्जन ने भी पुष्टि की है कि अस्पताल में कुछ समय के लिए ऑक्सीजन सप्लाई बाधित हुई थी, लेकिन उन्होंने मामले में “तकनीकी कारणों” का हवाला दिया और कहा कि जांच के बाद ही वास्तविक कारणों की पुष्टि हो सकेगी।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या सेवा प्रदाता पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। पंजाब सरकार की ओर से घटना पर दुख जताते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों को सज़ा दी जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं की निगरानी और रखरखाव की गंभीर स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर सरकारें स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के दावे करती हैं, वहीं ज़मीनी हकीकत आम लोगों की जान पर भारी पड़ती दिख रही है।
जलंधर सिविल अस्पताल की यह घटना सिर्फ एक तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि एक गंभीर मानव त्रासदी है। जब तक जवाबदेही तय नहीं की जाती और स्वास्थ्य तंत्र में जवाबदेही व पारदर्शिता नहीं लाई जाती, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराने का ख़तरा बना रहेगा।