जनवरी 2025 के तीसरे सप्ताह में गुजरात के गांधीनगर में आयोजित 23वें वैश्विक कास्टर सम्मेलन (23rd Global Castor Conference) ने भारत और विशेषकर गुजरात के कृषि क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार किया। इस महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने किया और इस अवसर पर कृषि, रसायन, निर्यात और जैविक तेल उद्योग से जुड़े हजारों प्रतिनिधियों की उपस्थिति देखी गई। इस आयोजन का मुख्य फोकस कास्टर यानी अरंडी की खेती, प्रोसेसिंग, मूल्य-वर्धन, निर्यात और उससे जुड़े उद्योगों को नई दिशा देना था।
मुख्यमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में यह रेखांकित किया कि गुजरात भारत के कुल कास्टर उत्पादन का 85% से अधिक उत्पादन करता है, जिससे यह राज्य न केवल देश का, बल्कि विश्व का भी एक अग्रणी कास्टर उत्पादक बन गया है। उन्होंने किसानों, निर्यातकों और उद्यमियों से आह्वान किया कि वे मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्माण पर ध्यान दें जैसे कि कास्टर बायो-फ्यूल, कास्टर बायो-प्लास्टिक और कास्टर आधारित फार्मास्युटिकल उत्पाद, जो भारत को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक बनाते हैं।
सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण तकनीकी सत्र आयोजित किए गए जिनमें कास्टर फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए ड्रोन तकनीक, जैविक उर्वरकों, स्मार्ट सिंचाई, और रोग नियंत्रण पर व्याख्यान दिए गए। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे जलवायु परिवर्तन के दौर में कास्टर जैसी फसल, जो सूखा प्रतिरोधी होती है, पर्यावरणीय संकट के बीच टिकाऊ कृषि समाधान प्रदान कर सकती है।
बाजार विश्लेषकों ने कास्टर तेल के वैश्विक मांग पर चर्चा करते हुए बताया कि कास्टर आधारित उत्पादों की मांग अमेरिका, यूरोप और एशिया के फार्मा और ऑटोमोबाइल सेक्टर में तेजी से बढ़ रही है। इस सम्मेलन में भाग लेने आए 25 देशों के प्रतिनिधियों ने गुजरात के किसानों और उद्यमियों से साझेदारी में रुचि दिखाई। इससे यह स्पष्ट हुआ कि कास्टर अब केवल एक पारंपरिक फसल नहीं, बल्कि एक वैश्विक आर्थिक अवसर बन चुकी है।
सम्मेलन का एक और आकर्षण वह प्रदर्शनी थी, जिसमें गुजरात और भारत के विभिन्न हिस्सों से आए किसानों और स्टार्टअप्स ने अपने नवाचारों और कास्टर आधारित उत्पादों को प्रदर्शित किया। कास्टर बीज से लेकर कास्टर आयल प्रोसेसिंग मशीनों तक, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला को एक छत के नीचे लाकर इस आयोजन ने कृषि और उद्योग के बीच की खाई को पाटने का कार्य किया।
अंततः, यह सम्मेलन केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह गुजरात के किसानों और कृषि उद्योग के लिए दिशा निर्धारक और प्रेरणादायक मील का पत्थर था। इससे यह स्पष्ट हो गया कि कास्टर केवल खेतों में उगने वाली फसल नहीं, बल्कि भारत के आत्मनिर्भरता अभियान और वैश्विक नेतृत्व के लिए एक मजबूत स्तंभ बन सकती है।