नई दिल्ली 20 अगस्त 2025
जल शक्ति मंत्रालय की सचिव स्मृति देबाश्री मुखर्जी की अध्यक्षता में आज नदी पुनर्जीवन पर केंद्रीय निगरानी समिति (CMC) की 20वीं बैठक (भाग-II) आयोजित हुई। बैठक में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल, एनआरसीडी के संयुक्त सचिव करन सिंह, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के अधिकारी शामिल हुए।
बैठक में 15 राज्यों की प्रगति की समीक्षा की गई। सचिव मुखर्जी ने कहा कि नदी पुनर्जीवन केवल पारिस्थितिकी ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक आवश्यकता भी है। उन्होंने राज्यों से अपील की कि वे फ्लडप्लेन जोन, सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं को समय पर पूरा करें और उपचारित अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग के लिए नवाचार अपनाएँ।
उल्लेखनीय प्रगति
सिक्किम: नवीनतम सीपीसीबी आकलन में शून्य प्रदूषित नदी क्षेत्र वाला राज्य।
असम और पंजाब: फ्लडप्लेन सीमांकन और अतिक्रमण हटाने में कदम।
ओडिशा: उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग, भूजल विनियमन और चंदका कैचमेंट से स्टॉर्मवॉटर डायवर्जन।
पंजाब: सतलुज नदी के फ्लडप्लेन जोन की अधिसूचना और उपचारित जल उपयोग की परियोजनाएँ।
महाराष्ट्र: सीवेज जल के बड़े पैमाने पर पुनर्चक्रण को इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में अनिवार्य किया।
मेघालय और मिजोरम: स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मजबूत किया।
सिक्किम: कचरा अलगाव, कम्पोस्टिंग और उद्योगों द्वारा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज अपनाने पर सराहना।
चुनौतियाँ भी रहीं
समिति ने कहा कि अब भी सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता, गैर-अनुपालन वाले STPs, और कुछ औद्योगिक प्रदूषण प्रबंधन परियोजनाओं में कमी बनी हुई है। सचिव ने राज्यों से आग्रह किया कि वे नियमित रूप से नदी पुनर्जीवन समितियों की बैठक बुलाएँ ताकि जवाबदेही और सतत निगरानी बनी रहे।
बैठक का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि सभी राज्यों को मिलकर काम करना होगा ताकि भारत की नदियों को प्रदूषण मुक्त और लचीला पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके।
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