नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर कड़ा बयान जारी किया है। ममता बनर्जी का कहना है कि यह विधेयक केवल एक संवैधानिक सुधार नहीं है, बल्कि यह देश के लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों पर एक गंभीर हमला है। उन्होंने इसे ‘सुपर-इमरजेंसी’ से भी आगे का कदम करार दिया है।
ममता ने अपने बयान में कहा कि यदि यह विधेयक पारित होता है, तो इससे न केवल राजनीतिक अधिकारों का हनन होगा, बल्कि नागरिकों के बुनियादी संवैधानिक अधिकार भी प्रभावित होंगे। उनका यह भी कहना था कि विधेयक में निहित प्रावधानों के कारण केंद्र सरकार को अत्यधिक शक्तियाँ मिलेंगी, जिससे राज्य सरकारों और आम नागरिकों की स्वतंत्रता सीमित हो सकती है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह कदम किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार लोकतांत्रिक संस्थाओं पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि देश के नागरिकों और विपक्षी पार्टियों को इस पर एकजुट होकर आवाज नहीं उठाई गई, तो इससे भविष्य में लोकतांत्रिक ढांचे को गहरा नुकसान पहुँच सकता है। ममता ने कहा कि वे संसद में इस विधेयक का विरोध जारी रखेंगी और आवश्यक कानूनी और संवैधानिक उपायों के जरिए इसे चुनौती देंगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि ममता बनर्जी का यह बयान केंद्र और राज्यों के बीच सत्ता संतुलन, संवैधानिक अधिकारों और लोकतंत्र के संरक्षण पर एक गंभीर बहस को जन्म देगा। उनका कहना है कि यह विधेयक केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं बल्कि राजनीतिक शक्तियों का केंद्रीकरण है, जिससे राज्यों की स्वायत्तता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर असर पड़ेगा।