📅 दिनांक: 29 जून 2025
📍 स्थान: देहरादून, उत्तराखंड
नैनीताल की निवासी नीलम मेहता को 13 साल के लंबे इंतज़ार के बाद उपभोक्ता फोरम से इंसाफ मिला। वर्ष 2012 में घुटने की सर्जरी के बाद उन्होंने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से ₹3 लाख का क्लेम किया था, जिसे बीमा कंपनी ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि यह “पूर्व-विद्यमान स्थिति” (pre-existing condition) है। उन्होंने दावा किया कि उनकी मेडिकल पॉलिसी कई वर्षों से निरंतर चल रही थी, और यह बहाना पूरी तरह अनुचित है।
राज्य उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को ₹1.5 लाख मेडिकल खर्च, ₹1 लाख मानसिक प्रताड़ना और ₹50 हजार मुकदमा खर्च के रूप में कुल ₹3 लाख देने का आदेश सुनाया। यह मामला बीमा क्षेत्र में ग्राहकों के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल बन गया है, खासकर बुजुर्ग और लंबे समय से प्रीमियम भरने वाले ग्राहकों के लिए।