1 जुलाई 2025 को भारत ने डिजिटल इंडिया अभियान के 10 साल पूरे होने का ऐतिहासिक अवसर मनाया। यह महज़ एक तकनीकी योजना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय पुनर्जागरण का प्रतीक बन चुका है, जिसने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल लोकतंत्रों की अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा किया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई देते हुए कहा, “दस वर्ष पहले हमने डिजिटल इंडिया की जो नींव रखी थी, आज वह एक मजबूत, जीवंत और परिवर्तनकारी अभियान बन चुका है। इसने न केवल तकनीकी ढांचे को बदल दिया है, बल्कि लोगों की सोच और जीवनशैली में भी क्रांतिकारी बदलाव लाया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि “गलवान की घाटियों से लेकर सियाचिन की ऊँचाइयों तक, आज भारत के हर कोने में हाईस्पीड इंटरनेट पहुँच चुका है।” यह उपलब्धि सिर्फ एक डिजिटल नेटवर्क की नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय संकल्प, नीतिगत निरंतरता और तकनीकी समर्पण की मिसाल है। वर्ष 2015 में शुरू हुए इस अभियान का उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना था, और अब 2025 में, हम उस यात्रा के मुकाम पर हैं जहाँ भारत की डिजिटल ताकत वैश्विक मंच पर बोल रही है।
आज डिजिटल लेनदेन 100 बिलियन (10,000 करोड़) से अधिक के आँकड़े को पार कर चुका है। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसे प्लेटफॉर्म न केवल ग्रामीण भारत में व्यापारी से लेकर किसान तक की रोज़मर्रा की जरूरतों को डिजिटल बना रहे हैं, बल्कि भारत को दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती कैशलेस इकोनॉमी में तब्दील कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने इसे “डिजिटल सामाजिक न्याय” की संज्ञा दी — जहां टेक्नोलॉजी ने समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को भी भागीदारी का अवसर दिया।
डिजिटल इंडिया ने ई-गवर्नेंस, डिजिटल हेल्थ मिशन, डिजिलॉकर, स्वयं, भारत नेट, को-विन, और जनधन आधार मोबाइल (JAM) जैसी पहलों के माध्यम से सरकारी सेवाओं को पारदर्शी, त्वरित और नागरिकों के अनुकूल बनाया है। डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में ‘स्वयं’ और ‘दीक्षा’ पोर्टल ने करोड़ों विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “डिजिटल इंडिया ने भारत को एक सेवा ग्रहिता (service receiver) से सेवा प्रदाता (service provider) देश बना दिया है।” उन्होंने बताया कि कैसे भारत की डिजिटल क्षमताएं आज ग्लोबल टेक्नोलॉजी में Made in India की पहचान बन चुकी हैं। डिजिटल स्टार्टअप्स, फिनटेक, हेल्थटेक और एग-टेक स्टार्टअप्स के माध्यम से भारत विश्व पटल पर तकनीकी आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया है।
प्रधानमंत्री ने सेना और सुरक्षाबलों की तकनीकी मजबूती की बात करते हुए कहा कि गलवान और सियाचिन जैसे संवेदनशील और दूरस्थ इलाकों में अब न केवल इंटरनेट, बल्कि ड्रोन, सैटेलाइट संचार, और रीयल टाइम डेटा नेटवर्क के जरिए सीमा सुरक्षा को स्मार्ट और प्रतिक्रियाशील बनाया गया है। उन्होंने कहा, “डिजिटल इंडिया अब सिर्फ स्मार्टफोन या ऐप तक सीमित नहीं है, यह हमारी सामरिक रणनीति और राष्ट्र की सुरक्षा का अभिन्न अंग बन चुका है।”
इस अवसर पर एक विशेष “डिजिटल भारत @10″ रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें बताया गया कि:
देश के 6 लाख से अधिक गाँवों में भारतनेट के माध्यम से ब्रॉडबैंड इंटरनेट पहुँच चुका है।
लगभग 90 करोड़ भारतीयों के पास डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध है।
100 से अधिक सरकारी सेवाएँ अब पूरी तरह ऑनलाइन हो चुकी हैं।
AI, IoT, और 5G तकनीक का समावेश देश के औद्योगिक और ग्रामीण क्षेत्रों में गति पकड़ चुका है।
इस यात्रा में देश के युवाओं की भूमिका को प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से सराहा। उन्होंने कहा कि “न्यू इंडिया का युवा अब सिर्फ मोबाइल यूज़र नहीं है, वह डिजिटल इनोवेटर है, डिजिटल आंत्रप्रेन्योर है, और डिजिटल भारत का असली शिल्पकार है।”
डिजिटल इंडिया के दस वर्ष केवल तकनीकी उपलब्धियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह समावेशी विकास की परिभाषा भी है। जिन क्षेत्रों में पहले सड़क या बिजली पहुँचना भी एक चुनौती थी, वहाँ अब ग्रामीण नागरिक मोबाइल ऐप्स से बैंकिंग, राशन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंत में कहा, “डिजिटल इंडिया अब सिर्फ सरकार की योजना नहीं रही, यह हर भारतीय का अपना अभियान बन चुका है। यह एक ऐसा आंदोलन है जिसमें भारत का आत्मविश्वास, नवाचार और जनसहभागिता झलकती है। अगले दशक में यह भारत को वैश्विक डिजिटल नेतृत्व की दिशा में अग्रसर करेगा।”
1 जुलाई 2025 को डिजिटल इंडिया की इस उपलब्धि पर भारत ने न केवल तकनीकी दुनिया को एक संदेश दिया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि जब एक राष्ट्र संकल्प लेता है और जनभागीदारी उसके साथ जुड़ जाती है, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है।