2025 की गर्मियों में भारतीय क्रिकेट ने वो अनुभव किया, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। दो ऐसे नाम — विराट कोहली और रोहित शर्मा, जिनकी बल्लेबाज़ी पर एक पीढ़ी ने भरोसा करना सीखा, जिनकी कप्तानी ने टेस्ट क्रिकेट को भारत में फिर से धर्म बना दिया — उन्होंने एक के बाद एक, बिना कोई लंबी औपचारिकता या विदाई श्रृंखला के, अचानक टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
यह केवल दो खिलाड़ियों का संन्यास नहीं था, बल्कि भारतीय क्रिकेट की आत्मा से कुछ टुकड़ों का चुपचाप विदा हो जाना था। इन दोनों महान खिलाड़ियों ने न केवल आंकड़े गढ़े, बल्कि टेस्ट क्रिकेट की गरिमा को जिंदा रखा, उस दौर में जब इसे धीमा, बोझिल और “पुराना प्रारूप” कहा जाने लगा था।
विराट कोहली — टेस्ट क्रिकेट के राजदूत की विदाई
विराट कोहली, जिन्हें क्रिकेट जगत में टेस्ट क्रिकेट का ‘ब्रांड एम्बेसडर’ माना जाता है, उन्होंने 12 मई 2025 को एक संक्षिप्त सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए अपना टेस्ट संन्यास घोषित कर दिया। उन्होंने लिखा, “#269 – यही मेरी सबसे बड़ी पहचान है। सफेद जर्सी में जो जज़्बा जिया, अब उसे युवाओं को सौंपने का वक्त है।”
कोहली का टेस्ट करियर महज़ आंकड़ों का संग्रह नहीं था, बल्कि एक जुनून की जीवित मिसाल थी। उन्होंने 123 टेस्ट मैचों में 9230 रन, 30 शतक, 7 दोहरे शतक और एक असाधारण औसत 46.85 के साथ भारत को विश्व क्रिकेट में अग्रणी बना दिया। उनकी कप्तानी में भारत ने 40 टेस्ट जीतें — जो किसी भी भारतीय कप्तान के नाम सबसे अधिक हैं।
लेकिन कोहली का असली योगदान उनके आँकड़ों में नहीं, बल्कि उनके नज़रों की आग, मैदान पर उनकी दहाड़, और विपक्षी टीमों को आँखों में आँखें डाल कर जवाब देने की शैली में था। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को फिर से “माचो फॉर्मेट” बना दिया। लॉर्ड्स हो या एडिलेड, उनकी ऊर्जा हर स्टेडियम को जगा देती थी। उनकी विदाई अचानक थी — बिना कोई आखिरी मैच, बिना कोई विदाई भाषण — और यही उनकी शैली थी: चुपचाप आकर तूफ़ान मचा देना और फिर एक शांत विदाई।
रोहित शर्मा — एक कप्तान जो टीम को आकार दे गया
रोहित शर्मा ने इससे ठीक पाँच दिन पहले, 7 मई 2025 को, अपने टेस्ट संन्यास की घोषणा की। रोहित के नाम 62 टेस्ट में 4524 रन, 10 शतक, और एक कमाल का औसत दर्ज है। लेकिन उनकी असली विरासत उनकी कप्तानी में है — एक नेतृत्व जिसने टेस्ट क्रिकेट को संरचना, रणनीति और संतुलन सिखाया।
वो सिडनी की बाउंसिंग पिच हो या विशाखापट्टनम की स्पिनिंग ट्रैक — रोहित की कप्तानी ने भारत को मैच के हर मोर्चे पर टिकाऊ बनाया। उन्होंने खिलाड़ियों को आज़ादी दी, युवा प्रतिभाओं को मंच दिया, और कोहली के बाद टेस्ट टीम को बिखरने से बचाया। उन्होंने गेंदबाज़ी यूनिट को बुलेट ट्रेन जैसा तेज़ और सटीक बनाया — शमी, सिराज और बुमराह जैसे तेज़ गेंदबाज़ों को उन्होंने भारत के गौरव में बदल दिया।
लेकिन अंदर ही अंदर, यह भी एक सच था कि बीसीसीआई और चयन समिति में एक नई पीढ़ी को लाने की योजना बन चुकी थी। अजीत अगरकर की अगुआई वाली चयन समिति और बीसीसीआई के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने “रीसेट बटन” पर हाथ रखा था — और यह साफ़ हो चुका था कि रोहित और कोहली की जगह अब भविष्य को सौंपनी है।
सियासत और सिस्टम: क्या यह विदाई वाकई स्वैच्छिक थी?
दोनों खिलाड़ियों की संन्यास घोषणा ने न केवल प्रशंसकों को चौंकाया, बल्कि क्रिकेट विश्लेषकों को भी स्तब्ध कर दिया। सूत्रों की मानें, तो रोहित और कोहली को BCCI की ओर से संकेत मिल चुके थे कि अगली इंग्लैंड श्रृंखला में युवा कप्तानों और खिलाड़ियों को वरीयता दी जाएगी। उन्हें सलाह दी गई कि ‘सम्मानजनक विदाई’ का समय यही है।
इस तथाकथित “सम्मानजनक संन्यास” की आड़ में चयन समिति ने जो संदेश दिया, वह यह था कि टीम को अब भविष्य के लिए तैयार करना है। लेकिन इस योजना की बुनियाद पर करोड़ों फैंस का दिल टूटा। जिन्होंने पिछले डेढ़ दशक में इन खिलाड़ियों के हर रन के साथ अपनी साँसे जोड़ी थीं — उन्हें बिना विदाई मैच, बिना सम्मान समारोह और बिना एक आखिरी झलक के विदा कर दिया गया।
फैंस की भावनाएं — “क्रिकेट अब पहले जैसा नहीं रहेगा”
फैन क्लबों से लेकर ट्विटर ट्रेंड तक, हर जगह बस एक ही भावना थी — “दिल टूटा है, उम्मीद नहीं।” कोहली को लेकर एक युवा प्रशंसक ने लिखा, “पापा ने सचिन को जाते देखा, मैंने विराट को। लेकिन कम से कम सचिन का आखिरी टेस्ट हमने देखा था। विराट तो बस पोस्ट करके चले गए।”
रोहित को लेकर कई लोगों ने याद किया कि कैसे उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट ओपनर बनकर सेंचुरी मारी थी, और कैसे उनकी कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड को घर पर 4-1 से हराया था। उनकी क्रिकेट की क्लासिक शैली — समय को पढ़ना, गेंद को पढ़ना और मैदान को शांत कर देना — अब केवल यादों में रह जाएगी।
एक युग की समाप्ति
कोहली और रोहित का जाना भारतीय क्रिकेट के उस दौर का अंत है, जिसने टेस्ट क्रिकेट को वैश्विक ग्लैमर, जुनून और गर्व दिलाया। यह सिर्फ एक रिटायरमेंट नहीं, बल्कि एक संकल्पना की विदाई है — जहाँ क्रिकेट केवल खेल नहीं, एक भावना था।
#ThankYouVirat #ThankYouRohit — क्रिकेट का इतिहास तुम्हें भूल नहीं पाएगा।