कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ज़ुबीन गर्ग के परिवार से मुलाक़ात के दौरान गहरा भाव प्रकट करते हुए कहा कि वे चाहते थे कि यह मुलाक़ात किसी खुशहाल और बेहतर परिस्थिति में होती, न कि ऐसे दुखद समय में जब असम ने अपनी आत्मा को खो दिया है। राहुल ने कहा — “मैंने परिवार से कहा कि काश मैं यहाँ किसी बेहतर और खुशहाल परिस्थिति में आता। लेकिन आज मैं यहाँ सिर्फ़ एक राजनीतिक व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे भारतीय के रूप में हूँ जिसने ज़ुबीन जी जैसी आत्मा के प्रति सम्मान महसूस किया।”
राहुल गांधी ने अपने बयान में अपने किशोरवय की एक याद साझा की। उन्होंने कहा, “जब मैं 17 साल का था, तब मैं सिक्किम में एक पर्वतारोहण कोर्स के लिए गया था। हर सुबह जब हम प्रशिक्षण के लिए निकलते थे, तो हमारे सामने माउंट कंचनजंघा दिखाई देता था। मैं रोज़ उसे देखता था — एक विशाल, शांत और स्थिर पर्वत। उस पर्वत की जो बात मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती थी, वह थी उसकी ईमानदारी, उसकी पारदर्शिता, उसकी अडिगता और उसकी खूबसूरती। कंचनजंघा अपने अस्तित्व में सच्चाई और दृढ़ता का प्रतीक था — और मुझे नहीं पता था कि कई साल बाद मैं एक ऐसे इंसान से जुड़ूंगा जिसमें ये सभी गुण जीवित होंगे।”
उन्होंने कहा कि जब वे ज़ुबीन गर्ग के निवास पर पहुंचे, तो गौरव जी ने उनसे कहा कि “ज़ुबीन जी खुद को कंचनजंघा कहा करते थे।” राहुल गांधी बोले, “यह सुनते ही मेरे भीतर कुछ जुड़ गया। मैंने महसूस किया कि हाँ, ज़ुबीन जी सचमुच कंचनजंघा जैसे ही थे। वे अडिग थे, सच्चे थे, पारदर्शी थे, और सबसे बढ़कर, खूबसूरत थे — अपने विचारों में, अपने संगीत में और अपने मानवीय मूल्यों में। उन्होंने असम को सिर्फ़ गीत नहीं दिए, बल्कि उसे एक आत्मा दी। उन्होंने संस्कृति को वह आवाज़ दी जो सीमाओं से परे जाती है।”
राहुल गांधी ने आगे कहा कि उन्होंने ज़ुबीन जी के पिता से भी बात की और कहा कि, “आपके ज्ञान, आपके स्नेह और आपके सहयोग ने उन्हें बनाया। आपने उन्हें वो जड़ें दीं जिनसे वे इतने ऊँचे बने। आपने उन्हें एक आवाज़ दी जिसने असम की आत्मा को जगाया और भारत के हर कोने में असम का संगीत पहुँचाया। हम सब, पूरे भारतवासी, आपके परिवार और निश्चित रूप से ज़ुबीन गर्ग के प्रति आभार प्रकट करते हैं — क्योंकि उन्होंने सिर्फ़ असम के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए काम किया। उनका संगीत एक सेतु है जो दिलों को जोड़ता है।”
परिवार से मुलाक़ात के दौरान राहुल गांधी ने एक और मार्मिक पल साझा किया। उन्होंने कहा, “मैंने जब ज़ुबीन जी के परिवार से बात की, तो उन्होंने मुझसे केवल एक बात कही — ‘हमने अपने ज़ुबीन को खो दिया है, हमें अब बस सच्चाई चाहिए।’ यह वाक्य मेरे मन में गूंजता रहा। मैंने उनसे कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह तुरंत, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराए। परिवार को यह अधिकार है कि वे जानें कि सिंगापुर में वास्तव में क्या हुआ। किसी भी देश, किसी भी राज्य में न्याय तभी पूरा होता है जब सच्चाई साफ़ और सबके सामने आती है।”
राहुल गांधी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कांग्रेस पार्टी और वे स्वयं व्यक्तिगत रूप से ज़ुबीन गर्ग के परिवार के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा, “हम यहाँ केवल सहानुभूति जताने नहीं आए हैं, बल्कि यह कहने आए हैं कि हम हर संभव मदद के लिए तैयार हैं। अगर परिवार को, असम के लोगों को या उनके प्रशंसकों को किसी भी सहायता की ज़रूरत होगी, तो हम उसे देने में एक पल की देरी नहीं करेंगे। ज़ुबीन गर्ग केवल असम के नहीं थे — वे भारत की आत्मा थे, और उनकी आवाज़ इस मिट्टी में हमेशा गूंजती रहेगी।”
राहुल गांधी ने अपने संदेश के अंत में असम की जनता के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “मैं असम की जनता को अपनी संवेदनाएँ प्रकट करता हूँ। मैं आपके दुख में आपके साथ खड़ा हूँ। जब ज़ुबीन दा गाते थे, तब असम सांस लेता था। आज असम का एक हिस्सा चुप हो गया है, लेकिन उनकी आवाज़ अमर है, वह हर दिल में गूंजती रहेगी। यह आवाज़ किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि असम के उस सौंदर्य की है जिसे कोई शक्ति मिटा नहीं सकती।”