शाहिद सईद, वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी
31 जुलाई 2025
राजस्थान सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को एक जनांदोलन का रूप देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने ‘मिशन हरियालो राजस्थान’ की शुरुआत करते हुए घोषणा की कि आने वाले पांच वर्षों में प्रदेशभर में 50 करोड़ पेड़ लगाए जाएंगे। यह पहल केवल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजस्थान के पर्यावरणीय परिदृश्य को पुनर्जीवित करने का एक दूरदर्शी प्रयास है। इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत 7 अगस्त 2024 को हरियाली तीज के अवसर पर जयपुर जिले के दूदू क्षेत्र में पीपल का पौधा लगाकर की गई। मुख्यमंत्री ने इसे एक सांस्कृतिक पर्व से जोड़ते हुए जनसामान्य को भावनात्मक रूप से भी इस मुहिम का हिस्सा बनाने की दिशा में सार्थक कदम उठाया है।
सरकार ने इस वर्ष (2025–26) में ही 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है, जबकि बीते वित्तीय वर्ष 2024–25 में पहले ही 7 करोड़ पौधे सफलतापूर्वक रोपे जा चुके हैं। इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि इसमें प्रत्येक पौधे की जियो-टैगिंग की जाएगी और एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए उनकी वृद्धि, स्थिति और सुरक्षा की निगरानी की जाएगी। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सिर्फ पौधारोपण न हो, बल्कि वे पौधे जीवित भी रहें और पर्यावरण को दीर्घकालिक लाभ दे सकें। इसी दृष्टि से प्रदेश के सभी जिलों में पूर्व मानसून तैयारियों के तहत नर्सरियों की व्यवस्था, पौधों की उपयुक्त प्रजातियों का चयन, गड्ढा खुदाई और सिंचाई जैसी व्यवस्थाओं को सुदृढ़ किया गया है।
‘मिशन हरियालो राजस्थान’ केवल सरकारी विभागों तक सीमित नहीं है। इसे जनांदोलन बनाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं, स्वयंसेवी संगठनों, स्कूलों, कॉलेजों और आमजन को जोड़ा जा रहा है। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसी पहलें इस अभियान को व्यक्तिगत भावनाओं से जोड़ती हैं, जिससे प्रत्येक नागरिक इसकी सफलता में भागीदारी महसूस करता है। मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि अगर जनभागीदारी सुनिश्चित हो गई, तो हर व्यक्ति कम-से-कम एक पौधा अवश्य लगाएगा और उसकी देखरेख करेगा। इस पहल को और सशक्त बनाने के लिए ‘वन महोत्सव’, ‘ग्रीन राइड’ और ‘ग्रीन स्कूल अवार्ड’ जैसे कार्यक्रम भी शामिल किए गए हैं।
अभियान में तकनीकी नवाचारों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। ‘वन निगरानी मोबाइल ऐप’ के माध्यम से जिला स्तर पर रिपोर्टिंग की जा रही है, जिससे यह देखा जा सकता है कि कहां कितने पौधे लगाए गए, उनकी क्या स्थिति है, और कौन सी प्रजाति अधिक अनुकूल है। इसके अलावा, ‘One District One Species’ योजना के तहत प्रत्येक जिले में स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार उपयुक्त पौधों की एक विशेष प्रजाति को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे पर्यावरण के साथ-साथ स्थानीय जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को भी बल मिलेगा।
इस अभियान का एक और उल्लेखनीय पहलू है ‘अरावली ग्रीन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट’, जिसके तहत 19 जिलों में 3,700 हेक्टेयर क्षेत्र में हरियाली को पुनर्जीवित करने के लिए ₹250 करोड़ का निवेश किया गया है। यह परियोजना राजस्थान की गिरती हरित आच्छादन दर को सुधारने और खासकर अरावली पर्वतमाला के पारिस्थितिक संतुलन को पुनर्स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगी। इस परियोजना का कार्य आगामी वर्ष में शुरू होगा, जिसमें व्यापक वृक्षारोपण, संरक्षण दीवारें, जल संचयन संरचनाएं और जैव विविधता संवर्धन गतिविधियाँ सम्मिलित होंगी।
राजस्थान सरकार का यह प्रयास न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से सराहनीय है, बल्कि यह राज्य के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास की दृष्टि से भी ऐतिहासिक है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार, स्वच्छ वातावरण, जल संरक्षण और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा जैसे लाभ मिलेंगे। यह अभियान केंद्र सरकार के ‘हरित भारत’ मिशन के अनुरूप है और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन नीति के उद्देश्यों की पूर्ति में भी योगदान देगा।
संक्षेप में कहा जाए तो ‘मिशन हरियालो राजस्थान’ केवल एक वृक्षारोपण कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह एक व्यापक सामाजिक आंदोलन है जो हर नागरिक को अपने पर्यावरण की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है। यदि यह योजना सफल होती है (जिसकी पूरी संभावना है), तो राजस्थान न केवल रेगिस्तान का प्रदेश कहलाएगा, बल्कि वह भारत के सबसे हरे-भरे और पर्यावरण-संवेदनशील राज्यों में भी गिना जाएगा।