एक ऐतिहासिक फैसले में वडोदरा के उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनियों की मनमानी पर सख्त टिप्पणी करते हुए साफ कहा कि बीमा कंपनी यह तय नहीं कर सकती कि कौन सा खर्च चिकित्सा के लिए जरूरी है और कितना अधिकतम खर्च वहन किया जा सकता है। इस फैसले के तहत ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को कैटरेक्ट सर्जरी के लिए ₹1.64 लाख का भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
61 वर्षीय मयूर परमार ने दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 में दोनों आंखों की मोतियाबिंद सर्जरी करवाई थी, जिस पर कुल ₹1.64 लाख का खर्च आया। उन्होंने यह राशि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से वसूलने का दावा किया। लेकिन बीमा कंपनी ने केवल ₹49,000 की मंजूरी दी, यह कहते हुए कि ऑपरेशन का खर्च “कस्टमरी” यानी सामान्य नहीं था। परमार ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए उपभोक्ता फोरम में केस दायर किया।
फोरम ने बीमा कंपनी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि “कस्टमरी चार्ज” या “रेज़नेबल चार्ज” की परिभाषा पॉलिसी में स्पष्ट नहीं है और इसका मनमाना अर्थ नहीं निकाला जा सकता। हर अस्पताल और डॉक्टर की फीस अलग होती है। विशेष डॉक्टरों की फीस स्वाभाविक रूप से अधिक होती है, और बीमा कंपनी यह तय नहीं कर सकती कि इलाज के दौरान डॉक्टर क्या करे और कितना खर्च हो।
फोरम ने कहा कि “कैटरेक्ट सर्जरी भले आम हो, लेकिन खर्च डॉक्टर और अस्पताल पर निर्भर करता है। बीमा कंपनी को यह अधिकार नहीं है कि वह मेडिकल प्रोसीजर और खर्च का निर्णय अपने हिसाब से करे।”
इस आदेश के तहत बीमा कंपनी को ₹1.64 लाख के साथ 9% ब्याज सहित दो महीने के भीतर राशि चुकाने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही ₹5,000 की अतिरिक्त राशि मानसिक प्रताड़ना और कानूनी खर्च के लिए भी दी जाएगी।
यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत है और बीमा कंपनियों के लिए एक चेतावनी – कि पॉलिसीधारकों के साथ अनुचित व्यवहार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।