सितंबर में अमेरिका, UK और ऑस्ट्रेलिया ने ‘AUKUS’ नामक एक रणनीतिक सुरक्षा समझौते की घोषणा की, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया को न्यूक्लियर-पावर्ड सबमरीन तकनीक दी जाएगी। इस समझौते से फ्रांस नाराज हुआ क्योंकि उसका ऑस्ट्रेलिया के साथ पनडुब्बी समझौता रद्द हो गया। फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूत वापस बुला लिए। यह घटना वैश्विक भू-राजनीति में शक्ति संतुलन और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के खिलाफ एक नई धुरी के गठन का संकेत बनी। भारत ने इस पर संयमित प्रतिक्रिया दी लेकिन इसे चीन की चुनौती से मुकाबले का हिस्सा माना गया।
