जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पाहलगाम में फिर से चहल-पहल लौट आई है। हाल ही के आतंकी हमले के बाद जिस घाटी ने खामोशी और डर का मंजर देखा था, अब वहीं घाटी सैलानियों के स्वागत में मुस्कुरा रही है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को पाहलगाम का दौरा किया और सोशल मीडिया पर एक भावुक लेकिन सकारात्मक संदेश साझा करते हुए बताया कि घाटी फिर से जीवन की ओर लौट रही है। उन्होंने कहा, “कुछ महीने पहले जब मैं यहां आया था, तो बाजार वीरान थे, सड़कें खाली थीं और भय का वातावरण था। लेकिन आज वही पाहलगाम देशभर से आए पर्यटकों की चहक और स्थानीय गतिविधियों से गुलजार है।”
मुख्यमंत्री के अनुसार, स्थानीय लोगों और सरकार के सामूहिक प्रयासों से यह बदलाव संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि भय और अविश्वास के माहौल को पीछे छोड़ते हुए, स्थानीय व्यापारी, होटल व्यवसायी और गाइड अब पूरे जोश से काम में जुट गए हैं। पर्यटकों की वापसी से न केवल अर्थव्यवस्था में नई जान आई है, बल्कि कश्मीरियों के आत्मविश्वास को भी मजबूती मिली है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है, और अब पहलगाम सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इस तरह पर्यटन घाटी के पुनर्निर्माण का आधार बन रहा है।
गौरतलब है कि अप्रैल 2025 में बिसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस भयावह घटना में कई पर्यटकों की जान गई थी, और उसके बाद कई हफ्तों तक पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल सुनसान हो गए थे। लेकिन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तब भी कहा था कि “बर्फ पिघलेगी और वादी में फिर से बहार आएगी” — और अब वही भरोसा सच होता दिखाई दे रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए हैं, ड्रोन निगरानी, कंट्रोल रूम मॉनिटरिंग और यात्री सहायता केन्द्र सक्रिय कर दिए गए हैं।
उमर अब्दुल्ला ने अपने दौरे में इस बात की भी सराहना की कि पर्यटकों ने घाटी पर फिर से भरोसा जताया है। दिल्ली, मुंबई, गुजरात, कोलकाता और दक्षिण भारत से पर्यटकों के समूह लगातार पहुंच रहे हैं। होटल बुकिंग में तेजी आई है और शिकारा चालकों, टूर गाइड्स, फोटोग्राफरों और हस्तशिल्प विक्रेताओं को राहत की सांस मिली है। उन्होंने स्थानीय व्यवसायियों से भी मुलाकात की और पर्यटन को और अधिक संरचित और पर्यावरण अनुकूल बनाने के सुझावों पर चर्चा की।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर यह भी कहा कि पाहलगाम ही नहीं, पूरे जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक दीर्घकालिक नीति पर काम चल रहा है। इसमें सुरक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक पर्यटन, इको-टूरिज्म और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने की योजनाएं शामिल हैं। “हमारा लक्ष्य केवल पर्यटकों को वापस लाना नहीं है, बल्कि उन्हें एक ऐसा अनुभव देना है जिससे वे कश्मीर को दिल से महसूस कर सकें,” उन्होंने कहा।
इस खबर में सबसे बड़ी बात यह है कि आतंक के साए से बाहर निकलकर घाटी अब एक बार फिर उम्मीद, सौंदर्य और शांति का संदेश दे रही है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी सिर्फ एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि उस सामूहिक भावना का परिचायक है जो घाटी के लोगों के हौसले और विश्वास से उपजी है। कश्मीर, जिसने हमेशा अपनी खूबसूरती से लोगों को मोहित किया है, अब अपनी जिजीविषा और सामूहिक पुनर्निर्माण से भी दुनिया को प्रेरित कर रहा है। पाहलगाम का पुनर्जीवन इस बात का प्रतीक बनता जा रहा है कि जब सरकार और जनता एक साथ खड़ी होती है, तो कोई भी डर या हमला स्थायी नहीं रह सकता।