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दुबई की रेत पर भारत की सुनहरी इबारत — चैंपियंस ट्रॉफी 2025 भारत के नाम

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दुबई की गर्म रेत, खचाखच भरा स्टेडियम, झंडों से लहराता नीला समंदर और क्रिकेट प्रेमियों की धड़कनें… 9 मार्च 2025 को ये सब गवाह बने उस ऐतिहासिक पल के, जब भारत ने न्यूज़ीलैंड को हराकर ICC चैंपियंस ट्रॉफी 2025 जीत ली। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी की नहीं थी, यह आत्मबल की, धैर्य की और सामूहिक प्रयास की जीत थी। भारतीय टीम ने रोहित शर्मा की कप्तानी में ऐसी परिपक्वता, योजना और आक्रामकता का प्रदर्शन किया जो शायद पिछले दो दशकों में सबसे संतुलित और प्रभावशाली प्रदर्शन माना जाएगा। 2023 के वर्ल्ड कप फाइनल की टीस और इंतज़ार को इस जीत ने शहद जैसा मीठा कर दिया। दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम की पिच पर जब भारत के खिलाड़ी झूमे, तो ऐसा लगा मानो देश भर के करोड़ों दिल एक साथ गर्व से धड़क उठे हों।
फाइनल में न्यूज़ीलैंड की टीम पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 252 रन ही बना सकी, हालांकि पिच पर रनों की संभावना ज्यादा लग रही थी। लेकिन भारत की सधी हुई गेंदबाज़ी, विशेषकर जसप्रीत बुमराह और कुलदीप यादव की जोड़ी ने विपक्ष को टिकने नहीं दिया। बुमराह की गेंदबाज़ी उस डॉक्टर की तरह थी जो बीमारियों को सटीक पहचान कर इलाज करता है — कोई अतिरिक्त शोर नहीं, सिर्फ असर। कुलदीप ने मिडिल ओवर्स में जो दबाव बनाया, उसने कीवियों की रफ्तार तोड़ दी। यह स्पष्ट था कि भारत की योजना सिर्फ विरोधी को रोकने की नहीं थी, बल्कि मानसिक रूप से थकाने की भी थी — और यह रणनीति बखूबी काम आई।
भारतीय पारी की शुरुआत जब रोहित शर्मा ने की, तो लगा मानो कोई अनुभवी योद्धा अंतिम युद्ध के लिए निकल पड़ा हो। उन्होंने पारी को केवल गति ही नहीं दी, बल्कि उस ठहराव से भी भरा जिसमें अनुभव झलकता है। रोहित के बल्ले से निकली 76 रनों की पारी सिर्फ आंकड़ों का हिस्सा नहीं, बल्कि एक कप्तान की विरासत थी। कोहली ने भी संयम बरता और मैच को गहराई तक लेकर गए, जिससे न्यूज़ीलैंड को बार-बार रणनीति बदलनी पड़ी। जब लक्ष्य 30 रनों के करीब पहुंचा और 2 विकेट जल्दी गिर गए, तो हार्दिक पंड्या और जडेजा ने मोर्चा संभाला और दबाव में दमदार तरीके से जीत की लकीर खींच दी। भारत ने 47.3 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर जीत हासिल कर ली और स्टेडियम में जयकारों का तूफान आ गया।
यह जीत केवल एक ट्रॉफी पर कब्ज़ा जमाने की कहानी नहीं, यह उस भरोसे का फल थी जो टीम इंडिया ने खुद पर, एक-दूसरे पर और पूरे देश की उम्मीदों पर दिखाया। रोहित शर्मा की कप्तानी में यह दूसरी ICC खिताबी जीत थी — एक साल पहले T20 वर्ल्ड कप 2024 और अब 2025 की चैंपियंस ट्रॉफी। भारत की यह टीम अब एक ‘जिंकिंग’ टीम नहीं रही, यह एक ‘ट्रॉफी मशीन’ बन चुकी है। जसप्रीत बुमराह के लिए यह टूर्नामेंट फिर एक साबित करने वाला मंच बना, जबकि कुलदीप यादव की गेंदबाज़ी में वो जादू था जिसने कीवी बल्लेबाज़ों को फँसा कर रख दिया। शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, और राहुल जैसे खिलाड़ी पूरे टूर्नामेंट में अलग-अलग मौकों पर चमके और टीम के सामूहिक संतुलन को बनाए रखा।
भारतीय ड्रेसिंग रूम में फाइनल के बाद का दृश्य भावुक था। कुछ खिलाड़ी आँखें पोंछते दिखे तो कुछ गले लग कर चुपचाप मुस्कुरा रहे थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोहित शर्मा का बयान यादगार रहा — “हमने पिछले वर्षों में बहुत सी आलोचनाएं सुनीं, बहुत सी उम्मीदें टूटीं, लेकिन हमने हार नहीं मानी। यह ट्रॉफी हर उस भारतीय के नाम है जिसने हमें हर मुश्किल में समर्थन दिया।” यह जीत उन असंख्य लोगों के लिए भी थी जो हर सुबह प्रार्थना करते हैं, हर शाम टीवी के सामने बैठकर “आउट मत हो” कहकर मन ही मन गेंद फेंकते हैं।
दुबई में 9 मार्च 2025 को जो हुआ, वह सिर्फ एक फाइनल नहीं था। वह भारतीय क्रिकेट का पुनर्जन्म था। यह जीत इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज होगी, क्योंकि इसने दिखा दिया कि भारत सिर्फ एक मजबूत टीम ही नहीं, बल्कि एक संपूर्ण क्रिकेट संस्कृति बन चुका है — जहाँ रणनीति विज्ञान है, नेतृत्व कला है, और खेल भावना धर्म।

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