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जम्मू-कश्मीर का लकड़ी उद्योग: जंगल से दस्तकारी तक, कला और कारोबार की समृद्ध परंपरा

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कुदरत की देन: जम्मू-कश्मीर की लकड़ी और उसकी विशेषता

जम्मू-कश्मीर, जहां बर्फ से ढकी पहाड़ियों और झीलों के सौंदर्य की चर्चा होती है, वहीं यह क्षेत्र भारत के सर्वोत्तम और बहुमूल्य लकड़ी संसाधनों का भी धनी है। विशेषतः अखरोट (Walnut), देवदार (Cedar), चिनार (Chinar) और कैल (Kail) जैसे पेड़ों की लकड़ी, न केवल मजबूती में बल्कि कलात्मकता के लिए भी आदर्श मानी जाती है। अखरोट की लकड़ी को तो भारत की सबसे सुंदर और टिकाऊ लकड़ियों में गिना जाता है। इसकी गहराई, महीन रेखाएं, प्राकृतिक रंग, और लंबे समय तक टिकने वाली गुणवत्ता इसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी लोकप्रिय बनाते हैं।

लकड़ी पर नक्काशी: उंगलियों से उकेरी गई विरासत

कश्मीर की सबसे प्रतिष्ठित कला में से एक है “Wood Carving” — यानी लकड़ी पर की जाने वाली महीन नक्काशी। यह नक्काशी कश्मीरी कारीगरों की सूक्ष्म दृष्टि, सौंदर्यबोध और पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा का जीता-जागता उदाहरण है। अखरोट की लकड़ी पर की गई यह नक्काशी आज भी श्रीनगर, डाउनटाउन, बडगाम और अनंतनाग जैसे क्षेत्रों में हज़ारों कारीगरों द्वारा की जाती है। वे इस लकड़ी को न केवल फर्नीचर में बदलते हैं, बल्कि दीवारों की पैनलिंग, दरवाजों, अलमारियों, मीनारों, मस्जिदों, मंदिरों और शोपीस जैसी कलाकृतियों में जान डाल देते हैं।

इस नक्काशी में मुग़ल शैली, सूफी प्रतीक, फूल-पत्तियों, पशु-पक्षी और स्थानीय दृश्य उकेरे जाते हैं। हाथ से की गई यह प्रक्रिया समय लेने वाली होती है, पर इसका सौंदर्य कालजयी होता है। कोई भी दो लकड़ी की वस्तुएं एक जैसी नहीं होतीं — हर टुकड़ा अपने आप में एक अद्वितीय कलाकृति होता है।

लकड़ी के उत्पाद: परंपरा और आधुनिकता का संगम

कश्मीर में लकड़ी से बनने वाले प्रमुख उत्पादों में शामिल हैं:

  1. हाथ से नक्काशी किया गया फर्नीचर – कुर्सियां, सेंटर टेबल, बेड, अलमारियां, ड्रॉइंग रूम सेट्स
  1. दीवार सजावट और छतों के पैनल – मस्जिदों, होटलों और अमीरों के घरों में लकड़ी की पैनलिंग आज भी कश्मीर की पहचान है
  1. डेकोरेटिव आइटम्स – लकड़ी की शीशियां, ज्वेलरी बॉक्स, लैम्प, फोटो फ्रेम, पूजा घर, miniature shrines
  1. Export Oriented Gift Items – हाथ से उकेरे हुए लकड़ी के स्मृति-चिह्न, विदेशी ग्राहकों के लिए खास डिब्बे और सजावटी बॉक्स

इन उत्पादों को हाथ से तैयार करना ही उन्हें यूनिक बनाता है। अब युवा डिज़ाइनर पारंपरिक डिज़ाइनों में मॉडर्न टच और रंग संयोजन जोड़कर इन उत्पादों को बुटीक स्टाइल में प्रस्तुत कर रहे हैं।

आर्थिक और व्यापारिक प्रभाव: हज़ारों कारीगरों की रोज़ी-रोटी

जम्मू-कश्मीर का लकड़ी उद्योग एक प्रमुख रोजगार क्षेत्र है, विशेषकर शिल्पकार समुदाय के लिए। 2024-25 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लगभग 75,000 से अधिक कारीगर इस क्षेत्र से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। इनमें से अधिकतर घरेलू इकाइयों या पारिवारिक कार्यशालाओं में काम करते हैं। यह उद्योग राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करता है।

लकड़ी के कारीगरों की अधिकतर मांग बड़े होटल समूहों, मंदिरों, म्यूज़ियम डिज़ाइन, वाणिज्यिक आंतरिक सजावट, और निर्यातकों द्वारा की जाती है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस कारीगरी को ODOP (One District One Product) के तहत प्रमोट करना शुरू किया है, और श्रीनगर में एक “Wood Carving Craft Cluster” भी विकसित किया जा रहा है।

वैश्विक बाज़ार में पहचान और GI टैग की भूमिका

कश्मीरी वुडकार्विंग को 2022 में Geographical Indication (GI) टैग प्राप्त हुआ, जिसने इसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में नई पहचान दी। इसके साथ ही, डिजिटल प्रमाणीकरण (QR Code Labelling), हस्तनिर्मित प्रमाणीकरण, और कारीगरों के रजिस्ट्रेशन से इसकी साख और बढ़ी है। आज भारत से होने वाले लकड़ी उत्पादों के निर्यात में कश्मीर की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। अमेरिका, फ्रांस, जापान, खाड़ी देशों, और जर्मनी जैसे बाज़ारों में कश्मीरी वुड क्राफ्ट को “Luxury Sustainable Home Décor” के रूप में देखा जा रहा है। 2024-25 में अकेले कश्मीरी लकड़ी उत्पादों से ₹600 करोड़ से अधिक का निर्यात दर्ज हुआ है, जो 3 वर्षों में दोगुना हो चुका है।

लकड़ी में बसी परंपरा, नक्काशी में छिपा भविष्य

कश्मीरी लकड़ी पर की जाने वाली कारीगरी केवल व्यापार नहीं — यह परंपरा, प्रकृति और परिश्रम का त्रिवेणी संगम है। जब कोई विदेशी ग्राहक अखरोट की लकड़ी पर बनी एक नक्काशीदार बॉक्स अपने घर में सजाता है, वह केवल एक उत्पाद नहीं ले जाता — वह कश्मीर के जंगलों की खुशबू, एक कारीगर की मेहनत, और भारत की आत्मा को साथ ले जाता है।

अब जब दुनिया स्थायित्व, कला और नैतिक व्यापार की ओर बढ़ रही है, तो जम्मू-कश्मीर का लकड़ी उद्योग भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। ज़रूरत है बस निरंतर समर्थन, डिज़ाइन नवाचार, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की।

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