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कश्मीर की नाशपाती: हिमालय की गोद से राष्ट्रीय और वैश्विक बाज़ार तक सफर

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कश्मीर को अक्सर सेब और केसर की भूमि कहा जाता है, लेकिन नाशपाती (Pears) भी घाटी की एक ऐसी फल-फसल है, जिसे पर्याप्त पहचान नहीं मिली है, जबकि यह स्वाद, पोषण, और व्यापारिक क्षमता के लिहाज से किसी भी वैश्विक फल से कम नहीं। कश्मीर की जलवायु, मिट्टी और ऊँचाई, नाशपाती की खेती के लिए प्राकृतिक रूप से अनुकूल है। यह फल न केवल स्थानीय आहार संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि धीरे-धीरे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपनी जैविक गुणवत्ता और प्राकृतिक मिठास के कारण पहचान बना रहा है।

कब और कैसे होती है नाशपाती की खेती?

कश्मीर में नाशपाती की खेती मुख्यतः अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा, बारामुला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा ज़िलों में की जाती है। इसे वसंत ऋतु में मार्च से अप्रैल के बीच लगाया जाता है, जब घाटी में बर्फ पिघलने लगती है और तापमान 10°C से 18°C के बीच होता है। नाशपाती के पौधे को शीतोष्ण जलवायु (temperate climate) की आवश्यकता होती है, और कश्मीर की पहाड़ी ढलानों तथा समशीतोष्ण घाटियों में यह फल खूब फलता-फूलता है।

फूल आने की अवधि अप्रैल के मध्य से शुरू होती है, और फल जुलाई के अंत से अगस्त-सितंबर तक पककर तैयार हो जाते हैं। यह एक मौसमी (seasonal) फसल है, जो 75–100 दिनों में पूर्णतः विकसित हो जाती है। अच्छी गुणवत्ता की नाशपाती के लिए ठंडी रातें और मध्यम धूप बहुत आवश्यक होती हैं, जो घाटी की जलवायु में स्वाभाविक रूप से उपलब्ध है।

नाशपाती की किस्में और विशेषताएँ:

  1. कश्मीर में उगाई जाने वाली प्रमुख नाशपाती की किस्मों में शामिल हैं:
  1. Patharnakh (पथरनाख) – मज़बूत और टिकाऊ, शिपिंग में आसान
  1. LeConte – मध्यम आकार और स्वाद में संतुलित
  1. Baggugosha – बेहद लोकप्रिय, मधुर और रसीली किस्म
  1. Bartlett और Conference Pear – वैश्विक बाजार के लिए पसंदीदा विदेशी किस्में, जिन्हें अब कश्मीर में भी अपनाया जा रहा है

ये किस्में प्राकृतिक रूप से रोग-प्रतिरोधी, अधिक उपज देने वाली, और लंबे समय तक ताज़ा रहने वाली हैं, जिससे इनका विपणन और निर्यात आसान हो जाता है।

कश्मीर की नाशपाती की गुणवत्ता क्यों खास है?

कश्मीर की नाशपाती में एक खास मिठास, खस्ता बनावट और सुगंध होती है, जो इसे मैदानी इलाकों की नाशपाती से अलग बनाती है। इसका मुख्य कारण है घाटी की शुद्ध जलवायु, जैविक खेती, और पारंपरिक बागवानी तकनीकें। अधिकतर किसान अभी भी रासायनिक उर्वरकों की तुलना में जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिससे इन फलों में अधिक स्वाद, पोषण और प्राकृतिक शक्ति होती है। यह नाशपाती फाइबर, विटामिन-C, और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती है, जो इसे स्वास्थ्य के लिहाज़ से भी एक उत्तम फल बनाती है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुँच:

हाल के वर्षों में कश्मीर की नाशपाती की राष्ट्रीय माँग तेजी से बढ़ी है, खासकर दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे शहरों में। वहाँ के सुपरमार्केट, होटल और हेल्थ-स्टोर अब “कश्मीरी नाशपाती” के नाम से इन फलों की विशेष बिक्री कर रहे हैं। इन फलों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और प्रमाणीकरण के क्षेत्र में सरकार और किसान संगठनों की कोशिशें रंग ला रही हैं।

निर्यात के क्षेत्र में, भारत ने हाल ही में कश्मीर की नाशपाती को मिडिल ईस्ट (UAE, कतर, ओमान) और यूरोप (UK, Netherlands) के बाजारों तक पहुँचाया है। APEDA (Agricultural & Processed Food Products Export Development Authority) और जम्मू-कश्मीर बागवानी विभाग की मदद से कश्मीर की नाशपाती को एक्सपोर्ट ग्रेड पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज और शिपिंग नेटवर्क से जोड़ा गया है। अब भारत की कोशिश है कि कश्मीर की नाशपाती को GI टैग दिलाकर इसे सेब की तरह अंतरराष्ट्रीय ब्रांड में तब्दील किया जाए।

चुनौतियाँ और संभावनाएँ:

हालाँकि उत्पादन और गुणवत्ता में कश्मीर की नाशपाती का कोई सानी नहीं, लेकिन बाजार तक पहुँच, कोल्ड स्टोरेज की कमी, और आपूर्ति श्रृंखला की असंगठित स्थिति अभी भी चुनौतियाँ हैं। कई बार फलों के खराब होने, समय पर बिक्री न हो पाने या मूल्य न मिलने की शिकायतें किसानों द्वारा की जाती हैं। इसके लिए ज़रूरी है कि सरकार बागवानी मंडियाँ, कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रोसेसिंग यूनिट्स को विकसित करे।

इसके अतिरिक्त, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन, GI टैग, और डिजिटल मार्केटिंग के ज़रिए कश्मीरी नाशपाती को एक हेल्थ सुपरफूड के रूप में प्रचारित किया जा सकता है। फ्रूट वाइन, जूस, जैम और ड्राय फ्रूट फॉर्म में प्रोसेसिंग करके मूल्यवर्धन भी संभव है।

कश्मीर की नाशपाती आज सिर्फ़ एक फल नहीं, बल्कि एक अवसर है — जो किसानों के लिए आय का स्रोत, उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्य का विकल्प, और भारत के लिए वैश्विक कृषि-बाज़ार में एक नया मुकाम बन सकती है। यदि इसे वैज्ञानिक खेती, विपणन सहयोग, और रणनीतिक निर्यात से जोड़ा जाए, तो आने वाले वर्षों में “कश्मीरी नाशपाती” न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर में एक प्रतिष्ठित कृषि ब्रांड के रूप में स्थापित हो सकती है।

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