उत्तर प्रदेश में अप्रैल 2021 में पंचायत चुनाव कराए गए, जिसमें लाखों मतदाता और शिक्षकों ने भाग लिया। चुनाव प्रक्रिया में कोविड गाइडलाइंस का पालन नहीं हुआ और इससे ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना का विस्फोट हो गया। हजारों शिक्षक चुनाव ड्यूटी में संक्रमित हुए, और कई की मौत भी हुई। इसके चलते सरकार पर लापरवाही और जान की कीमत पर चुनाव कराने के आरोप लगे। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार की कड़ी आलोचना की और कई जिलों में सख्त आदेश दिए। यह चुनाव महामारी के दौर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और मानव जीवन के संतुलन पर गंभीर सवाल छोड़ गया।
